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बुढ़ापे से न घबराएं, फिजियोथेरेपी अपनाए- डॉ. राम पंवार

स्वास्थ्य

बुजुर्गों के रोगों और विकारों की संख्या अन्य आयु वर्ग की तुलना में ज्यादा है। बुढ़ापे में फिजियोथेरेपी बेहद कारगर है। फिजियोथेरेपी चिकित्सा अध्ययन 1989 से एक विशेषता बन गई है। फिजियोथेरेपी से बुढ़पे में हो रही समस्याओं का काफी हद तक समाधान किया जा सकता है। 1. सर्जरी से बचे अगर फिजियोथेरेपी से आपकी चोट या दर्द में आराम मिल जाता है तो सर्जरी की जरूरत नही पड़ती और किसी कारण सर्जरी की जरूरत रही तो भी फिजियोथेरेपी द्वारा सर्जरी पूर्व मांसपेशियों के व्यायाम आपको शीघ्र स्वस्थ करने में लाभदायक होंगे। 2. शारीरिक गतिशीलता में सुधार यदि आपको खड़े होने, चलने, ठीक से आगे बढ़ने में परेशानी हो रही हैं, तो फिजियोथेरेपी की मदद से आप अपनी मांसपेशियों व आपके पोश्चर पर सहायक उपकरणों की मदद से सुचारू कर सकते है। आपकी दैनिक गतिविधियों का अवलोकन व उनके अनुसार व्यायाम आपकी काफी मदद कर सकते है। 3. स्ट्रोक से पुर्नवास लकवे के बाद एक उम्र के बाद इससे पुनःप्राप्ति आसान नहीं होती। विंâतु फिजियोथेरेपी आपको बिस्तर से उठाकर आपकी क्षमता अनुसार धीरे- धीरे पुनः आपकी सुचारू लाइफ में लाने में मदद कर सकती है। नसो के उपकरणों द्वारा व बाकि शारीरिक व मांसपेशियों के व्यायाम द्वारा पुर्नवास संभव है। 4. मधुमेह व उच्च रक्त चाप में सुधार आपकी बढ़ती उम्र आपकी शारीरिक गतिविधियों को कम कर देती है। व मांसपेशियों को कमजोर बना देती है। फलस्वरूप आपकी शारीरिक समास्याओं का बढ़ना जैसे रक्त चाप का असंतुलन, खून में शर्करा का बढ़ना, पैरो में झनझनी, कांपने जैसी कई समस्याएं। किन्तु फिजियोथेरेपी से आप शारीरिक व मानसिक संतुलन पाकर काफी हद तक उन पर नियंत्रण कर सकते है। 5. आयु सम्बंधि रोगों पर रोकथाम व्यक्तियों को आयु अनुसार कुछ रोग स्वाभाविक है। जैसे गठिया, अस्थियों अर्थ राइटिस व कमर व कंधो व घुटनों का दर्द इन सभी के लिए सम्बंधित मांसपेशियों के विशेष व्यायाम कर अंग संचालन में मदद हो सकती है। 6. दिल और फेफड़ो की बीमारी का प्रबंधन दिल और फेफड़ो की बीमारी में संतुलित रक्त संचरण व संतुलित श्वसन का होना अत्यंत आवश्यक है। जो कि फिजियोथेरेपी द्वारा संभव है। श्वास सम्बंधि फेफड़ों के व्यायाम और पैदल चलने व हल्का शारीरिक व्यायाम आपके दिल और फेफड़ों के लिए लाभदायक है। फिजियोथेरेपी हर वर्ग व आयु के लोगों के लिए कारगर है। विंâतु वृद्धजन व वृद्धावस्था में इसकी आवश्यकता ज्यादा देखी जा रही है। इसकी मदद से आपक अपने शारीरिक संतुलन, क्षमता व मनोबल को पुनः प्राप्त कर स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हों।

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