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Conjunctivitis Infection : तेजी से फैल रहे आई फ्लू को लेकर रतलाम नहीं इस जिले ने जारी की एडवाइजरी, बच्चों को स्कूल न भेजने की सलाह

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जनवकालत न्यूज। रतलाम / प्रदेश में रतलाम सहित सीहोर में बदलते मौसम के बीच आई फ्लू यानी कंजेक्टिवाइटिस संक्रमण लोगों में तेजी से फैल रहा है। इसको लेकर सीहोर के स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। और बच्चों को घर रहने की सलाह दी है।

लेकिन इतनी ही तेजी से यह संक्रमण रतलाम शहर में भी फेल रहा है किंतु रतलाम स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसी कोई गाइडलाइन अभी तक जारी नहीं की गई है, यह आश्चर्य की बात है। खास तौर पर इस संक्रमण का असर बच्चों पर ज्यादा देखने को मिल रहा है। शहर में बढ़ते संक्रमण से बचाव हेतु आवश्यक है कि स्वास्थ्य विभाग भी जनता के हित में निर्णय लें।

कंजेक्टिवाइटिस संक्रमण के लक्षण

आई फ्लू एक संक्रामक बीमारी है, इससे खासकर बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इससे आंखे लाल होकर सूज जाती है। आंखों से खून भी आ सकता है। आंखों में खुजली और जलन होती है। आंखों से लगातार पानी आता है। पलकों पर सूजन आती है, सब कुछ धुंधला नजर आता है। पलकें आपस में चिपक जाती हैं, जिससे तेज रोशनी खराब लगने लगती है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत प्रभाव से डॅाक्टर की सलाह लें।

संक्रमण से बचाव के लिए क्या करें 

ज्यादा भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। ऐसे लक्षण दिखने पर आंखों पर बर्फ की सिकाई करें, जिससे दर्द और जलन में राहत महसूस होगी। बार-बार ठंडे पानी से आंखों को धोना चाहिए। डॅाक्टर की सलाह से किसी एंटीबायोटिक ड्रॅाप का इस्तेमाल करें। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बरतें और उसके द्वारा प्रयोग की गई चीजों का उपयोग करने से बचें। हवा में नमी से बैक्टीरिया, वायरस आसानी से रिप्लीकेट होते हैं। इससे बचाव के लिए जब भी बाहर जाएं चश्मा लगाकर जाएं। अपने दैनिक प्रयोग में होनी वाली चीजों को किसी के साथ शेयर न करें। ऐसे लक्षण दिखने पर आंखों को डॅाक्टर से दिखाकर उचित उपचार लेना चाहिए।

होम्योपैथी की नजर में संक्रमण क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है बता रहे है स्पेशलिस्ट श्री सोहन सिंह चौहान

कनज्क्सीवाइटस याने आय फ्लू के लक्षण 

अचानक से आंखों में चुभन होना ओर लगना कुछ गिर गया है। आंखे लाल होना, सूजन आना,पहले एक आंख फिर दूसरी। लाल आंख होना। प्रकाश भीति याने प्रकाश की ओर देखना कठीनतम होना। जलन और आंसू का बहना सुबह उठने के बाद आंखों का लसलसे पदार्थ के जमने से पलकों का चिपक जाना। अधिकांश मामलों में यह वर्षा ऋतु के आगमन के साथ होता है। इसका कारण संक्रमण से होता है। संक्रमण एलर्जी के कारण या बैक्टरिया के कारण तथा वायरस के कारण हो सकता है।

संक्रमण से संक्रमित होने के बाद के उपचार 

जैसे ही लगता है कि आपको कनज्क्सीवाइटस हो गया है तो आपकों अपनी आंखों को ठंडा रखने के लिये बार-बार स्वच्छ जल से धोना चाहिए। आंख में आय ब्राईट या सेनेरिया मारिटीमा जो बिना अल्कोहल वाली होती है, डालना चाहिए। अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोना व आंखों को छूने से बचना चाहिए चाहे तो ठंडी पट्टी भी लगा सकते है या फिर बरफ से सिकाई भी कर सकते है।

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जब आसपास इस रोग का पता चले तो आर्जेंटम नाइट्रीकम दवा30 शक्ति में दिन मे दो बार तीन दिन तथा एक बार सुबह लेकर एक सप्ताह में आप पायेगें कि आप इससे सुरक्षित हो सकते है। दूसरा अपनी आंखों को छूने का प्रयास भी ना करे इससे सबसे अधिक सुरक्षा मिल सकती है।

परन्तु यदि यह समस्या प्रारंभ हो जाती है तो सबसे पहले एकोनाइट 200 शक्ति में दिन में तीन बार लेना है। यूफरेशिया 200 शक्ति में लेते रहे, वही अर्जेंटम नाइट्रीकम दवा 30 शक्ति में दिन मे तीन बार ले व आय ब्राईट या सेनेरिया मारिटीमाजा उपलब्ध हो उपयोग की जा सकती है।

सावधानियां

विशेष इस बारे में ऐसे सभी रोगियों से आग्रह है जो इससे पिड़ित है वह अपने टावेल, मोबाईल किसी को उपयोग करने के लिए ना दे तथा अपनी आंखों को छूने के बाद किसी भी वस्तु को ना छूए तो आप इसे फैलने से रोक सकते है।

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