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बड़े लोगों के सपने गरीबों की बर्बादी पर नहीं, उनकी सुविधा के संतुलन पर पूरे होने चाहिए- पूर्व विधायक पारस सकलेचा

breaking रतलाम

मकान तो सही टॉयलेट भी तोड़ दिए , अब डेढ़ सौ व्यक्ति महिलाएं , बच्चे दिनचर्या कहां करें

रईसों के सपनों के लिए गरीबों की कुर्बानी क्यों..?

रतलाम। जनवकालत न्यूज

नगर निगम के सामने मेहंदीकुई बालाजी मंदिर के पास स्थित मकानो को जिला और नगर निगम प्रशासन ने गैरकानूनी तरीके से तोड़ा है। 8 परिवार के लगभग 60 सदस्य बेघर हो गए, उनके रहने का कोई ठिकाना नहीं, और पूरी रात उन्होंने टूटे हुए मकान के मलबे पर बैठ कर गुजारी।

डेढ़ सौ सदस्य रात को 8 बजे विधायक चेतन्य काश्यप के निवास पर गए, विधायक जी के वहाँ होने के बाद भी पहले तो इंकार कर दिया गया। बाद में कहा वो थक गए हैं, तो आराम कर रहे हैं। नहीं मिलेंगे।

सारे लोग रात को 11 बजे तक भूखे प्यासे वहीं बैठे रहे, भोजन तो क्या, चाय तो छोडो, उन्हे पानी तक का नही पुछा गया। और बाद में पुलिस बुलाकर उन्हें वहां से भगा दिया गया।

प्रशासन ने कानून के विपरीत सबसे पहले जो 8 शौचालय बने हुए थे, जिसके लिए उन्हें शासन से इस मद में सहायता मिली थी, वह तोड़ दिए गए। अब शेष बचे परिवार जिसमें लगभग 100 से ज्यादा सदस्य है, बच्चे, महिलाए दिनचर्या कहां करेंगे। यह संवैधानिक सुखाधिकार के हक की हत्या है। और जुर्म है।

उल्लेखनीय है कि यहां पर लोग 80 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं। अगर नगर निगम को इस जमीन की आवश्यकता थी तो उसे इन लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी थी। कहीं पर भी पट्टे या प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान दिलाने का काम करना था।

जब मुख्यमंत्री ने घोषणा की है, समय-समय पर, नजूल की जमीन पर निवास करने वाले दिसंबर 2016 तक, जिसे अब बढ़ाकर दिसंबर 2018 तक कर दिया गया है, जमीन के मालिक है। ऐसे में यह सारे लोग इस जमीन के हकदार थे।

रईसों के सपने के लिए गरीब की कुर्बानी क्यों दी गई। आप पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था करके भी उन्हें हटा सकते थे। प्रशासन में गरीबों के प्रति संवेदना होना चाहिए, सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के इशारों पर काम करने का यह मतलब तो नहीं है कि गरीबों को उनका वाजिब हक भी नही दिलाये। ऐसे प्रकरणो में सुविधा का संतुलन गरीब के पक्ष में होना चाहिए, यह माननीय उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देश है।

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