भाजपा युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए मना रही काला दिवस – राज्यसभा सांसद बंशीलाल गुर्जर

आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर पत्रकारवार्ता का आयोजन…

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रतलाम/जनवकालत न्यूज। पुरातन काल से भारत लोकतांत्रिक गणराज्य रहा है। देश की जड़ों में लोकतंत्र कूट-कूट कर भरा है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए आदिकाल से भारत में कई महापुरूष भी पैदा हुए है, लेकिन 50 साल पहले भारत में जो हुआ वह देश की डीएनए में नहीं था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। आपातकाल युद्ध की स्थिति या देश में अशांति होने पर लगाया जाता है मगर तब सिर्फ इंदिरा गांधी ने अपना जनाधार खिसकने के डर से इसे लागू किया, जो इतिहास के काले पन्नों पर दर्ज है। भाजपा युवा पीढ़ी को इसी काले अध्याय के प्रति जागरूक करने के लिए काला दिवस मना रही है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने वाले सैनानियों का सम्मान कर रही है।

यह बात राज्यसभा सांसद बंशीलाल गुर्जर ने कही। वे भाजपा द्वारा आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर काला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय, उज्जैन के पूर्व जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सांकला, कार्यक्रम प्रभारी सुनील सारस्वत, सह प्रभारी अनिता कटारिया, जिला मीडिया प्रभारी अरूण त्रिपाठी एवं सह प्रभारी निलेश बाफना मंचासीन रहे। श्री गुर्जर ने बताया कि आपातकाल की घोषणा इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 का उल्लंघन कर की थी। इसमें देश के चौथे स्तंभ को भी कुचलने का प्रयास किया गया और विपक्षी नेताओं एवं कई पत्रकारों के साथ 98000 लोगों को जेल में डाल दिया था। भारत में लोकतंत्र कूट-कूट कर भरा था इसलिए कई लोग उसकी बहाली के लिए लड़े और जेल जाने वाले लोगों की संख्या 150000 तक पहुंच गई थी। लोकतंत्र बहाली के संघर्ष में राष्ट्र सेवक संघ ने महती भूमिका निभाई थी।

राज्यसभा सांसद गुर्जर ने कहा कि 1971 में इंदिरा गांधी की लोकसभा चुनाव की जीत को राजनारायण जी ने चुनौती दी थी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने तब इस फैसले पर स्थगन दिया था लेकिन उसे भी तब यह आभास नहीं था कि सरकार अपमानजनक तरीके से प्रधानमंत्री पद को बचाने के लिए आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। 25 जून, 1975 को रात में आपातकाल जब लागू किया गया तब पूरे देश में अराजकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चल रहे थे। इन आंदोलनों को कुचलने के लिए मनमाने तरीके से आपातकाल लगाया गया था, जिसमें कई बेगुनाहों को जेल भुगतना पड़ी थी। आपातकाल के दौरान 21 महीने तक तानाशाही का तांडव चला और 1977 में कांग्रेस की जीत के लिए सर्वे रिपोर्ट मिलने पर आम चुनाव कराए गए थे। इन चुनावों में जनता ने कांग्रेस को नकार दिया और जनता पार्टी को भारी बहुमत से जिताया। भारतीय जनसंघ ने तब लोकतंत्र बहाली के लिए विचार से परे जाकर जनता पार्टी का साथ दिया था।

सांसद गुर्जर ने बताया कि कांग्रेस शुरू से परिवारवाद की राजनीति करती आई है और संविधान का मखौल उड़ाती रही है। राहुल गांधी संविधान की किताब दिखाकर भाषण देते है जबकि संविधान का सबसे ज्यादा दुरूपयोग उन्हीं की पार्टी ने किया है। देश का चर्चित शाहबानो प्रकरण भी इसका उदाहरण है। देश में भाजपा ही ऐसी पार्टी है जिसका आंतरिक लोकतंत्र मजबूत है और वह लोकतंत्र की मजबूती के लिए कार्य कर रही है। पार्टी ने आपातकाल की विभिषिका से आमजन को अवगत कराने के लिए कई आयोजन किए है और आगे भी इसी तरह युवा पीढ़ी की जागरूकता के लिए कार्य करती रहेगी।

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