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शिक्षक दिवस : महावीर स्वामी का बुनियादी चिंतन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान, भाषाविद , कवि, लेखक डॉ. जयकुमार जलज का रतलाम कला मंच ने किया आत्मीय सम्मान

मध्यप्रदेश रतलाम

जनवकालत न्यूज / रतलाम। शिक्षक दिवस के अवसर पर नगर की सुप्रसिद्ध संस्था “रतलाम कला मंच” द्वारा राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध भाषाविद , कवि, लेखक और 12 वर्ष तक शासकीय महाविद्यालय रतलाम के सफलतम प्राचार्य रहे डॉ जय कुमार जलज का सम्मान किया गया।

फोटो जनवकलत

सर्वप्रथम संस्था अध्यक्ष राजेंद्र चतुर्वेदी,अजय चौहान,जनमेजय उपाध्याय,शरद चतुर्वेदी श्रीमती रुपाली तबकडे,नीलिमा छबि सिंह, सिमरन जीत,शीतल पांचाल,महेश ओझा,नरेंद्र त्रिवेदी, पवन कुमार,आदि ने डॉ जलज का पुष्पहारों से स्वागत किया साथ ही संस्था द्वारा श्रीमती प्रीति जलज को भी सम्मानित किया गया क्योकि सर की सफलता के पीछे आप का भी बहुत बड़ा त्याग है।

राजेन्द्र चतुर्वेदी ने आप के उत्क्रष्ट लेखन आप की कालजयी पुस्तकों ओर रचनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि आप की जैन धर्म के लिए लिखी गयी पुस्तक महावीर स्वामी का बुनियादी चिंतन गागर में सागर के समान है जो अब तक 28 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है और अब तक 58 संस्करण निकल चुके हैं जिसे सिर्फ राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है।

फोटो जनवकालत

इस अवसर पर जनमेजय उपाध्याय ने अपनी काव्य रचना गुरुदेव के माध्यम से ओर नरेंद्र त्रिवेदी ने जलज जी को समर्पित रचना के माध्यम से सम्मानित किया।

श्रीमती रुपाली तबकडे ने शिक्षक दिवस के पवित्र अवसर पर आदरणीय जलज सर के सम्मान को सम्पूर्ण शिक्षक समुदाय का सम्मान बतायाओर सिमरन जीत कौर ने भी सर के साथ अपने अनुभव साझा किए।

शरद चतुर्वेदी ने कहा कि संस्था सर को सम्मानित करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रही है वास्तव में सर जैसी विभूति को सम्मानित कर हम सब स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहे है। तत्पश्चात संस्था सदस्यों ने करतल ध्वनि के बीच डॉ जलज को मोती माला शाल श्री फल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

अपने उदबोधन में डॉ जलज ने वर्तमान परिस्थितियों में जब समाज बहुत एकाकी होता जा रहा है तो संस्थाओं से जुड़कर सामाजिक कार्य करते रहने से एकाकीपन को दूर किया जा सकता है और कई समस्याओं से बचा जा सकता है इस अवसर पर आप ने अपने प्राचार्य काल के कई ऐसे संस्मरण साझा किए जिनसे बड़ी से बड़ी समस्या को सहजता से कैसे सुलझाया जा सकता है ये सीखने को मिलता है। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र चतुर्वेदी ओर आभार जनमेजय उपाध्याय द्वारा किया गया।

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