Home अंतरराष्ट्रीयRare Coins : देखा है कभी दो लाख रुपए का एक सिक्का, ऐसे ही दुनियाभर के दुर्लभ सिक्कों का कलेक्शन इंदौर पहुंचा

Rare Coins : देखा है कभी दो लाख रुपए का एक सिक्का, ऐसे ही दुनियाभर के दुर्लभ सिक्कों का कलेक्शन इंदौर पहुंचा

by Janvakalat News
0 comments

जनवकालत न्यूज़/ इंदौर |

इंदौर के गांधी हाल में मुद्रा महोत्सव – 07 आयोजित किया जा रहा है। इसमें दुनियाभर के सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई जा रही है। पुरातन काल के वो सिक्के भी यहां पर देखने को मिल रहे हैं जिनके बारे में अभी तक सिर्फ किताबों में ही पढ़ा गया या देखा गया। 

दो लाख रुपए तक के सिक्के आए

प्रदर्शनी में सिक्कों का कलेक्शन लेकर मुंबई से आए नागरिक ने कहा कि यहां दो लाख रुपए तक के सिक्के मौजूद हैं। इन सिक्कों को इनके इतिहास के कारण पहचाना जाता है। बताया गया कि यहां पर दो हजार साल पुराने सिक्के भी मौजूद हैं। हम इन सिक्कों की पूरी जानकारी निकालकर इन्हें प्रदर्शित करते हैं और इच्छुक खरीदार को उपलब्ध करवाते हैं। अभी तक कुल 200 सिक्के बोली के माध्यम से दिए जा चुके हैं। यहां पर ब्रिटिश काल, मुगल काल समेत दुनिया के कोने कोने के सिक्के मौजूद हैं। बताया गया कि नासिर शाह खुसरो ने सिर्फ 6 महीने दिल्ली में राज किया था। उसके राज में जो सिक्के बने थे वह बहुत कम संख्या में बचे हैं। यहां पर उस काल के सिक्के भी हैं। यहां उपलब्ध सिक्कों की कीमत पांच सौ रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक है। 

इतिहासकार जफर अंसारी ने बताया कि इंदौर में हो रहे इस आयोजन का मुख्य आयोजक न्युमिस्मेटिक रिसर्च ट्रस्ट भारत है। 10 दिसंबर तक चलने वाले इस आयोजन में गिरीश शर्मा आदित्य, दौऊ लाल जौहरी, विराज सतीश भार्गव एवं रविंद्र पहलवान ने अथक प्रयास किए हैं। इंदौर शहर के गिरीश शर्मा मुद्रा जगत के उत्थान और विकास के लिए सदैव सक्रिय रहते हैं और इन्हीं की अटूट कोशिशों की वजह से भव्य आयोजन संभव हुआ है। मुद्रा महोत्सव -07 में भारत के कोने-कोने से पधारने वाले मुद्रा प्रेमी, मुद्रा शास्त्री तथा समस्त प्रतिभागियों का हम सब शहर इंदौर में स्वागत करते हैं अभिनंदन करते हैं।

https://www.kamakshiweb.com/

You may also like

Leave a Comment

About Us

We’re a media company. We promise to tell you what’s new in the parts of modern life that matter. Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo. Sed consequat, leo eget bibendum sodales, augue velit.