अमृत सागर तालाब पर घाट निर्माण से पहले तालाब की सफाई जरूरी: पूर्व पार्षद सीमा टांक ने भेजा प्रस्ताव…

केबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से की मांग : तालाब से जलकुंभी निकालना एवं गंदे नालों की निकासी को बंद करना जरूरी…

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रतलाम/जनवकालत न्यूज। शहर स्थित अमृत सागर तालाब पर घाट निर्माण की सैद्धान्तिक स्वीकृति मिलने पर पूर्व पार्षद सीमा टाक ने नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का आभार जताया है। साथ ही मांग की है कि सीवरेज के गंदे पानी की निकासी रोकी जाकर पहले जलकुंभी हटाकर तालाब की पुख्ता सफाई करवाई जाए। इससे जलकुंभी का भी स्थाई निराकरण हो सके।टांक ने अपने भेजे गए प्रस्ताव में कहा कि रियासतकालीन अमृत सागर तालाब में कभी स्वच्छ जल भरा रहता था। वर्तमान में इसमें शहर का सीवरेज का गन्दा पानी भरा है और उस पर जलकुंभी ने पूरे तालाब को घेर रखा है।यह तालाब आबादी क्षेत्र के मध्य होने से रहवासियों को गंदगी, दुर्गन्ध और मच्छरों के कारण नारकीय जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।पूर्व में जलकुंभी निकालने की एक मशीन 3 करोड़ रुपए में क्रय की गई है। स्थायी समाधान के स्थान पर गन्दे, दुर्गन्धयुक्त सिवरेज के पानी पर फैल रही जलकुंभी को मात्र निकालने का कार्य और उस पर किया जा रहा व्यय मेरे मत से युक्तियुक्त नही है।

टांक ने मंत्री को प्रस्ताव में बताया कि वर्ष 2009 में प्रथम बार पार्षद निर्वाचित होने के बाद रतलाम शहर स्थित सज्जन मिल तालाब का गहरीकरण का काम प्रशासन और जनता की भागीदारी से किया गया था। इस कार्य के चलते 15 अगस्त 2010 को मुझे जिला स्तर पर मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।

ऐसे करवाए सफाई, गंदे पानी की निकासी रोकी जाए-

मांग की गई कि प्रस्ताव के अनुसार बोहरा बाखल और लक्कड़पीठा की ओर से तालाब में सीवेज के पानी के प्रवेश को रोककर डाइवर्ट कर दिया जाए। तालाब में जमा पानी वर्षा में अतिरिक्त जल भराव होने पर पानी जिस मार्ग से निकल रहा है उस ओर से निकाल दिया जाए। तालाब सूखने के बाद जलकुंभी की समस्या स्वतः समाप्त हो जाएगी। फिर तालाब का गहरीकरण हो, जिससे वर्षो से अपशिष्ट/मल की जमा गाद बाहर हो जाने पर वर्षा का स्वच्छ जल भरने लगेगा। हालांकि ऐसा प्रस्ताव झील सरंक्षण के नाम से तालाब शुद्धिकरण योजना पर विचार चल रहा था। इसलिए मेरा प्रस्ताव आगे नही बढ़ सका। जब जब अमृत सागर तालाब के विषय पर चर्चा होती मैं अपनी बात लगातार 2019 में पार्षद के दूसरे कार्यकाल तक कहती रही। बावजूद बात आगे नही बढ़ी और किसी भी स्तर से मुझे नही कहा गया कि मेरा प्रस्ताव अव्यवहारिक अथवा अनुचित है।मुझे आज भी यही उपाय अल्प संशोधन के साथ उचित लगता है, अब सम्पूर्ण शहर में सिवरेज लाइन स्थापित है। घरों का गन्दा पानी इन नालों के स्थान पर सीवरेज लाइन से सीवरेज उपचार संयंत्र तक उपचारित होने के लिए पहुंच रहा है। अर्थात इन दोनों नालों में सीवेज का पानी का प्रवाह अब नही होगा। इसलिए इन दोनों नालों का आवश्यकता अनुसार मरम्मत, पुनर्निर्माण वर्षा जल तालाब में लाने के लिए किया जाना उचित लगता है।

करोड़ों का खर्च लाखों में ही संभव-

टाक ने कहा कि मेरे प्रस्ताव पर यदि अमृत सागर तालाब का पुनरुद्धार होता है तो यह कार्य बहुत कम व्यय का होगा। प्रशासन की योजना करोड़ो की है और कार्य लाखों से होने की संभावना है। शेष राशि तालाब के साथ इस क्षेत्र को एक समृद्ध पर्यटन स्थल बनाने में उपयोग की जा सकती है।

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