जनवकालत न्यूज़ / धर्म | Vikram Samvat 2080: 22 मार्च 2023, बुधवार से हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष विक्रम संवत 2080 की शुरुआत होने जा रही है। हिंदू विक्रम संवत 2080 अंग्रेजी कैलेंडर के वर्ष 2023 से 57 वर्ष आगे होगा। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना का महापर्व भी आरंभ हो जाएगा। हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र और आखिरी महीना फाल्गुन होता है। हर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू हो जाता है जो इस बार संवत्सर का नाम नल होगा, राजा बुध ग्रह होंगे और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे।

चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
Chaitra Navratri 2023 : शक्ति साधना और पूजा पाठ का महापर्व चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होने वाली है, जो 30 मार्च तक रहेगी। साथ ही 30 मार्च को श्रीराम नवमी मनाई जाएगी। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इन नौ दिनों में माता रानी की पूजा-अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस बार की चैत्र नवरात्रि को बेहद ही खास माना जा रहा है, क्योंकि ये पूरे 9 दिन की होगी। इस साल 22 मार्च से लेकर 30 मार्च तक नवरात्रि है और 31 मार्च को दशमी के दिन पारण होगा। शास्त्रों के अनुसार, पूरे नौ दिन की नवरात्रि शुभ मानी जाती है। इसके अलावा चैत्र माह में नवरात्रि की शुरूआत बुधवार को हो रही है। ऐसे में देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन नौका पर होगा। नौका पर मां दुर्गा का आगमन बहुत ही शुभ होता है। नौका पर मां के आगमन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वैसे तो मां दुर्गा सिंह की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्रि के पावन दिनों में धरती पर आते समय उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदंबे की सवारी नवरात्रि के प्रारंभ होने वाले दिन पर निर्भर करती है। नवरात्रि का प्रारंभ जिस दिन होता है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है।



नवरात्रि 2023 पर महासंयोग
इस बार नवरात्रि पर बनने वाले विशेष महासंयोग बेहद खास है। चैत्र मास की नवरात्रि इस बार संपूर्ण 9 दिवसीय नवरात्र है। इसमें तिथियों की घटबढ़ नहीं है। प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 10 बजकर 53 मिनट पर लग जाएगी। इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी। इस बार तीन सर्वार्थ सिद्धि, तीन रवि योग, दो अमृत सिद्धि योग और गुरु पुष्य का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग 23, 27 और 30 मार्च को लगेगा। अमृत सिद्धि योग 27 व 30 मार्च को और रवि योग 24, 26 व 29 मार्च को लगेगा। नवरात्रि के अंतिम दिन श्री रामनवमी पर गुरु पुष्य योग का महासंयोग बन रहा है।
चैत्र प्रतिपदा से नवसंवत्सर का प्रारंभ
चैत्र प्रतिपदा से ही नवसंवत्सर का प्रारंभ होता है, माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
गुड़ी पड़वा पूजा और महत्व
Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा को संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है, यह मुख्य रूप से भारतीय राज्य महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला वसंत ऋतु का त्योहार है। यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और चैत्र महीने के पहले दिन पड़ता है, जो आमतौर पर मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में पड़ता है। 2023 में, गुड़ी पड़वा 22 मार्च, 2023 को मनाया जाएगा। उत्सव की खुशियों के साथ-साथ, गुड़ी पड़वा को संपत्ति या नया घर खरीदने का भी शुभ समय माना जाता है। गुड़ी पड़वा, मराठी नया साल, लोगों के लिए नई शुरुआत और आशा की भावना लाता है। मुख्य रूप से यह पर्व महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है, गुड़ी पड़वा या उगादी अगले फसल वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। गुड़ी पड़वा चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा 2023 तिथि
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 मार्च 2023, मंगलवार, रात्रि 10: 52 मिनट से
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 मार्च 2023, बुधवार, रात्रि 08: 20 मिनट पर
उदयतिथि के अनुसार 22 मार्च 2023 को गुड़ी पड़वा है।
गुड़ी पड़वा 2023 मुहूर्त 2023
गुड़ी पड़वा पूजा मुहूर्त – प्रात: 06 : 29 मिनट से प्रातः 07: 39 मिनट तक (22 मार्च 2023)
आइए अब जानते है हिंदू विक्रम संवत 2080 के बारे में खास बातें...
हिंदू नववर्ष से जुड़ी खात बातें

1- विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने शुरू किया था। राजा विक्रमादित्य ने अपनी विक्रम संवत के शुरू होने पर अपनी जनता के सभी कर्जों से राहत प्रदान की थी। विक्रम संवत हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाती है। इस संवत को गणितीय नजरिए से एकदम सटीक काल गणना माना जाता है। विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत माना गया है। नए विक्रम संवत के शुरूआत होने पर देश के अलग-अलग स्थानों पर इसके अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
2- चैत्र महीना जोकि हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है यह होली के बाद शुरू हो जाता है। यानी फाल्गुन पूर्णिमा तिथि के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा लग जाती है फिर भी उसके 15 दिन बाद नया हिंदू नववर्ष क्यों मनाया जाता है? दरअसल इसके पीछे क्या तर्क है कि हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष पूर्णिमा से अमावस्या तिथि के 15 दिनों तक रहता है और कृष्ण पक्ष के इन 15 दिनों में चंद्रमा धीरे-धीरे लगातार घटने के कारण पूरे आकाश में अंधेरा छाने लगता है। सनातन धर्म का आधार हमेशा अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़ने का रहा है यानि “तमसो मां ज्योतिर्गमय्”। इसी वजह से चैत्र माह के लगने के 15 दिन बाद जब जब शुक्ल पक्ष लगता है और प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। अमावस्या के अगले दिन शुक्ल पक्ष लगने से चंद्रमा हर एक दिन बढ़ता जाता है जिससे अंधकार से प्रकाश की समय आगे बढ़ता है।
3-चैत्र माह की प्रदिपदा तिथि पर ही महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, माह और वर्ष की गणना करते हुए हिंदू पंचांग की रचना की थी। इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।
4- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस वजह से भी चैत्र प्रतिपदा तिथि का इतना महत्व है।
5- इसी दिन से नया संवत्सर भी आरंभ हो जाता है इसलिए इस तिथि को नवसंवत्सर भी कहते हैं। सभी चारों युगों में सबसे पहले सतयुग का प्रारम्भ इसी तिथि यानी चैत्र प्रतिपदा से हुआ था। यह तिथि सृष्टि के कालचक्र प्रारंभ और पहला दिन भी माना जाता है।
6-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर भगवान राम ने वानरराज बाली का वध करके वहां की प्रजा को मुक्ति दिलाई। जिसकी खुशी में प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज फहराए थे।
7- हिंदू नववर्ष को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तथा आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान झूलेलाल की जयंती, चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ, गुड़ी पड़वा,उगादी पर्व मनाए जाते हैं।
8- चैत्र प्रतिपदा नवरात्रि पर शक्ति की आराधना की जाती है जहां पर मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नवमी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मोत्सव और फिर चैत्र पूर्णिमा पर भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान की जयंती मनाई जाती है।
9- हिंदू कैलेंडर में कुल 12 माह होते हैं जो इस प्रकार है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।
10- हिंदू कैलेंडर के सभी महीने नक्षत्र के नाम पर रखे गए हैं। पूर्णिमा तिथि पर जो नक्षत्र रहता है उसी नक्षत्र के नाम पर हिंदी महीनों के नाम रखे गए हैं। जैस चैत्र का महीना चित्रा नक्षत्र के नाम पर रखा गया इसी प्रकार वैशाख विशाखा के नाम पर, ज्येष्ठ ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम पर। इसी तरह सभी 12 हिंदू महीनों का नाम नक्षत्रों के नाम रखा गया है।