रतलाम। जनवकालत न्यूज़
कोरोना वायरस को लेकर शासन प्रशासन ने जो एडवाइजरी जारी की है ।उस पर अमल करना हर भारतीय पर लाज़मी है। लेकिन मुस्लिम कम्युनिटी को इस बात पर अमल करना और भी ज्यादा जरूरी है। क्योंकि मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने ऐसी संक्रमित बीमारियों के समय जो सुरक्षा के उपाय बताए हैं। उन्हें करने पर हमें उसका सवाब भी मिलेगा। जैसा कि कुरान में अल्लाह ने फरमाया कि अपनी जान को अपने हाथों हलाक मत करो यानी जिससे मौत का खतरा हो वह काम मत करो।दूसरा यह कि कुरान के बाद इस्लाम की सबसे पवित्र किताब बुखारी शरीफ की हदीस नंबर 5396 और मुस्लिम शरीफ की हदीस नंबर 2218 में लिखा है कि मोहम्मद सल्लल्लाहो वसल्लम ने फरमाया कि ऐ लोगों जिस किसी शहर में संक्रामक बीमारी फैली हो तो वहां तुम लोग मत जाना और यदि पहले से ऐसी बीमारी वाली जगह पर तुम रह रहे हो तो उस जगह या उस शहर को छोड़कर दूसरी जगह मत जाना। यानी संपूर्ण लॉकडाउन, और फिर बुखारी शरीफ़ हदीस नंबर 5437 मुस्लिम शरीफ 2221 में लिखा है कि जो कोई संक्रमित होकर बीमार हो जाए तो फिर वह सेहतमंद लोगों के साथ ना रहे, बल्कि बस्ती से अलग एक सुरक्षित जगह पर इलाज ले ताकि उससे दूसरों को भी बीमारी ना लग जाए और दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित ना हो जाए। यही तरीका जानवरों की बीमारी में भी कहा कि बीमार ऊंट को सेहतमंद ऊँट के साथ मत रखो। यानी क्वॉरेंटाइन, और इसी तरह नमाज़ के बारे में भी आप सल्लल्लाहो सल्लम ने फ़रमाया कि अगर तुम्हें आंधी तूफान या बहुत ज्यादा बारिश या किसी तरह से किसी परेशानी का सामना हो जिससे जान जाने का खतरा हो तो आप लोग मस्जिदों में ना आकर बल्कि अपने-अपने घरों में ही नमाज़ पढ़ो।और नमाज़ से पहले वज़ू करने ( मुह, हाथ, पैरों को धोने ) का जो तरीका मोहम्मद साहब ने हमें बताया (सेनेटाइजर) वह लाजवाब है, और एक बात और जो यह हदीस है कि एक साथ तीन जुमे छोड़ने वाले की तो वह यह है कि अगर कोई मुसलमान बिना किसी शरई मजबूरी के सिर्फ लापरवाही और आलस से जुम्मे की नमाज नहीं पड़ता वह इस्लाम के दायरे से बाहर हो जाएगा। लेकिन आज तो हमारे पास जुम्मा छोड़ने और घर में रहकर नमाज़ पढ़ने और पूरी तरह लॉक डाउन का पालन करने की बहुत बड़ी वजह है।और नबी सल्लल्लाहो सल्लम की बात मानकर घर में रहते हुए भी अगर कोई मर जाएगा तो हदीस में है कि अल्लाह उसे शहीद का दर्जा अता फरमाएगा।जबकि आज पूरी दुनिया मोहम्मद साहब की नसीहतो पर सेनेटाइज़िंग,सोश्यल डिस्टेंसिंग,लॉकडाउन,कोरेंटाइन सेल्फ आइसोलेशन जैसे नाम देकर अमल कर रही है तो आज मुसलमानों का तो ज्यादा हक है और फर्ज है कि वह पूरी सख्ती से इन नियमों का पालन करके शासन एवं प्रशासन का सहयोग करें और अपने सच्चे मुसलमान और मोहम्मद सल्लल्लाहो सल्लम के अनुयायी होने का प्रमाण देकर मिसाल कायम करें।
और नियमो का उल्लंघन करके अपनी, अपने परिवार, अपने शहर और देश के लोगों की मुसीबत और परेशानियों का कारण न बनें।

