सेरेब्रल एन्यूरिज्म से पीड़ित रतलाम की महिला को मेदांता अस्पताल में अत्याधुनिक मिनिमल इंवेसिव इंडो वेस्कुलर तकनीक से मिला नया जीवन

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रतलाम/जनवकालत न्यूज़। रतलाम की सेरेब्रल एन्यूरिज्म से पीड़ित महिला को मेदांता अस्पताल इंदौर ने नया जीवन दिया है। वह दिमाग में जानलेवा ब्लीडिंग और खून की नस से लीकेज से जूझ रही थी। रतलाम की एक महिला की दिमाग की नस फट गई थी। जिसका इंदौर के मेदांता अस्पताल में अत्याधुनिक मिनिमल इंवेसिव इंडो वेस्कुलर तकनीक से उपचार किया गया। मेदांता अस्पताल की न्यूरो रेडियोलाजिस्ट डा. स्वाति चिंचुरे ने बताया कि “एक महिला को सितंबर 2023 में अचानक से तेज सिर दर्द हुआ था। पहले यह जावरा इलाज के लिए गई, लेकिन वहां बीमारी का पता नहीं चल पाया। इसके बाद वहां से रतलाम पहुंची। वहां सीटी स्कैन में पता चला कि दिमाग में ब्लीडिंग हो रही है। इसके बाद मरीज के स्वजन को इंदौर के मेदांता अस्पताल के बारें में बताया गया, जिसके बाद उसे यहां लेकर आए। यहां मरीज की एंजियोग्राफी की, जिससे पता किया कि कहां से नस में लीकेज हो रहा है। इसके बाद मिनिमल इंवेसिव इंडो वेस्कुलर तकनीक के माध्यम से पैर के रास्ते से ही जहां से इनकी नस फटी थी, कोइलिंग की प्रक्रिया के द्वारा लीकेज को बंद किया। कुछ ही दिन में मरीज ठीक हो गया है। इस प्रक्रिया को करीब एक वर्ष पुरा हो गया है, अब मरीज बिल्कुल स्वस्थ है। इस बीमारी में जितनी जल्दी हो सके मरीजों को उपचार लेना आवश्यक है।”

मेदांता अस्पताल की न्यूरो रेडियोलाजिस्ट डा. स्वाति चिंचुरे ने बताया कि सेरेब्रल एन्यूरिज्म यानि खून की नली का गुब्बारा, ब्रेन एंयुरिज्म दमनी की दीवार के कमजोर क्षेत्र में उभरता है। यह गुब्बारा फटने पर दिमाग में ब्लडिंग यानि इंट्राक्रैनील हेमरेज होता है। यह एक गंभीर बीमारी है। जिसमें स्ट्रेस, लकवा, कोमा या फिर मरीज की मौत भी हो सकती है। लगभग 25 प्रतिशत मरीजों की इसके कारण मौत हो जाती है। जल्द से जल्द इस बीमारी का निदान आवश्यक है। इसके लिए एक परंपरागत सर्जरी होती है, जिसमें सर्जन क्लीप लगाते हैं। इसमें रक्तस्त्राव भी अधिक होता है और दिमाग की हड्डी भी ओपन करना पड़ती है। इससे उपचार का यह एक हाई रिस्क तरीका है। वहीं दूसरा तरीका मिनिमम इंवेसिव इंडो वेस्कुलर तकनीक से उपचार है। इसमें पैर में सूई लगाते हैं। पैर के रास्ते से दिमाग तक पहुंचकर उसे बंद कर देते हैं। इसका यह फायदा होता है कि इसमें रक्तस्त्राव भी नहीं होता है।

यह है आधुनिक तकनीक से लाभ-

डा. चिंचुरे ने बताया कि मिनिमम इंवेसिव इंडो वेस्कुलर तकनीक से मरीजों को कई लाभ मिलते हैं। इसमें सिर पर एक भी टाका नहीं लगता है। इस तकनीक से खासतौर पर उन मरीजों को फायदा मिलता है, जो सर्जरी के लिए फीट नहीं होते हैं। जिन मरीजों की उम्र 60 वर्ष से अधिक होती है। जिन्हें अनियंत्रित डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट संबंधित बीमारियां होती है, वह इस तकनीक से उपचार करवा सकते हैं। इसमें बिना टांके के ब्रेन के एन्यूरिज्म की कॉयलिंग की जा सकती है।

बीमारी के लक्षण-

• सिर दर्द होना
• जी मचलना
• उल्टी होना
• गर्दन में अकड़न
• बेहोश होना
• दौरा पड़ना आदि।

इन कारणों से होती हैं ये बीमारी-

•स्मोकिंग •अनियंत्रित उच्च रक्तचाप •अनुवांशिक आदि।

रतलाम सहित अन्य जिलों में होती है मेदांता की ओपीडी-

मेदांता अस्पताल द्वारा छोटे जिलों में चलाई जा रही ओपीडी के माध्यम से मरीजों को लाभ मिल रहा है। कई गंभीर बीमारियों के बारें में यहां मौजूद विशेषज्ञों से पता चल पा रहा है। मेदांता अस्पताल इंदौर की ओपीडी रतलाम में भी संचालित होती है। इन दिनों में विभिन्न बीमारियों के विशेषज्ञों का लाभ अब बिना इंदौर जाए रतलाम और उसके आस पास वाले इन ओपीडी के माध्यम से ले सकते है।

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