Baba mahakal ! रतलाम के इतिहास का ऐतिहासिक दिन रहा सावन का अंतिम सोमवार, उज्जैन के राजा के प्रथम आगमन ने मध्यप्रदेश में रतलाम को दिलाया विशेष स्थान

जन वकालत न्यूज/ रतलाम | सावन का अंतिम सोमवार देश प्रदेश सहित रतलाम के लिए एक विशेष एवं ऐतिहासिक दिन रहा, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है जब उज्जैन के राजा बाबा महाकाल सावन के अन्तिम सोमवार को रतलाम जिले में पधारे और उनका यह प्रथम नगर आगमन जैसे उनके भक्तों सहित रतलाम जिले के वासियों के लिए भी एक सुअवसर बनकर आया और भक्तो ने इस अति महत्वपूर्ण अवसर को अपनी भक्ति से सरोबार कर दिया। भक्तों के उमड़े जनसैलाब ने बाबा महाकाल की क्या खूब अगवानी की यह तो देखते ही बनती थी।  सावन के इस पावन माह में बाबा की इस विशेष अगवानी के मिले सुअवसर ने मध्यप्रदेश में रतलाम को एक विशेष स्थान प्राप्त करवा दिया।


शहर में पहली बार निकली बाबा महाकाल की शाही सवारी ने रतलाम की लोगों को शिवमय कर दिया। इस दौरान पालकी में सवार बाबा महाकाल के दर्शन और पालकी को छूने के लिए हर कोई आतुर था. शाही सवारी सोमवार सुबह 8 बजे सिविक सेंटर स्थित श्री काशी विश्वनाथ महादेव मंदिर से निकली. इस दौरान हर-हर महादेव और जय महाकाल के उद्घोष से पूरा माहौल शिवमय हो गया. बैंड बाजे एवं डीजे की धुन में बाबा महाकाल के श्रद्धालु भक्ति में झूमते दिखे.

दरअसल रतलाम जिला पंचायत पूर्व अध्यक्ष प्रकाश प्रभु राठौड़ के परिवार द्वारा सनातन धर्म की अलख जगाने और देश, प्रदेश व शहर में खुशहाली की कामना को लेकर शहरवासियों को सावन एवं अधिक मास के प्रत्येक सोमवार उज्जैन महाकाल तीर्थ की नि:शुल्क यात्रा कराई गई है. इसी क्रम में सावन के अंतिम सोमवार को उज्जैन महाकाल तीर्थ यात्रा पर रवाना होने से पहले शहर में पहली बार बाबा महाकाल की शाही सवारी ठाट-बाट से निकाली गई. इसके बाद बसों एवं चार पहिया वाहनों से श्रद्धालुओं को लेकर उज्जैन महाकाल तीर्थ यात्रा के लिए रवाना किया गया.

उज्जैन से आई पालकी में निकली सवारी

यह सवारी उज्जैन के बाबा महाकाल की शाही सवारी के तर्ज पर निकाली गई. इसके लिए उज्जैन से आई श्रंगारित पालकी में बाबा महाकाल को विराजमान किया गया. इस दौरान हर कोई इस ऐतिहासिक पल को अपने मोबाइल में कैद करने को आतुर था.

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फोटो सोशल मीडिया

कौन-कौन शामिल हुए शाही सवारी में 

शाही सवारी में सबसे आगे मातृ शक्ति अश्व पर सवार थीं. इस्कान टेंपल की टीम राधेकृष्णा के भजनों पर थिरक रही थी. महिलाएं सिर पर 108 पवित्र नदियों एवं सप्त सागर के जल कलश रख कर चल रही थीं तो वहीं भगवान भोलेनाथ के भूतों की टोली शिव भक्ति में नृत्य कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही थी. इसके साथ ही आदिवासी समाज की नृत्य टोली भी अपनी छटा बिखेर रही थी.

बग्गी में श्री विशुद्धानंद गिरी परमहंस 1008 अखंड नागेश्वर सवार थे. बग्गी में विराजे लड्डू गोपाल, हाथी पर मनमहेश भगवान एवं चंद्रमोलेश्वर भगवान भी विशेष रूप से शाही सवारी में शामिल हुए. उज्जैन का गणेश बैंड भोले के भजनों और देश भक्ति के तरानों के साथ भस्म रमैया मंडली भी ढोल-ताशों के साथ भोले की भक्ति में तल्लीन थी. भगवान भोलेनाथ की विशालकाय मूर्ति के साथ आकर्षक झांकी भी शाही सवारी में शामिल हुई.

कहां से निकली सवारी 


शाही सवारी शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए श्री बड़ा गोपाल जी के मंदिर माणक चौक पहुंची. यहां पर बाबा महाकाल की आरती कर स्वागत किया गया. इस दौरान शाही सवारी का एक छोर चांदनी चौक पर था तो वहीं अंतिम छोर लोहार रोड पर था. भव्य शाही सवारी सिविक सेंटर स्थित काशी विश्वनाथ महादेव मंदिर से लोकेंद्र टॉकीज, शहर शराय, आबकारी चौराहा, लौहार रोड, तोपखाना, चांदनी चौक, चौमुखी पुल, घांस बाजार, गोपाल जी का बड़ा मंदिर माणक चौक, डालूमोदी बाजार, नाहरपुरा चौराहा, धानमंडी होते हुए पुन: काशी विश्वनाथ महादेव मंदिर परिसर तक निकली.

स्वागत के लिए उमड़ा शहर

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फोटो सोशल मीडिया


शहर में पहली बार निकली ऐतिहासिक भव्य बाबा महाकाल की शाही सवारी का स्वागत सभी आम जनों से लेकर खास जनों ने भक्तिमय होकर किया. स्वागत करने वालों में राजनीतिक दल भी शामिल थे. इस दौरान सनातन सोशल ग्रुप, सराफा एसोसिएशन, राजपूत समाज, राठौड़ (तेली) समाज, माहेश्वरी समाज, मारुति ग्रुप सहित 100 से अधिक स्थानों पर फूलों की बारिश कर शाही सवारी का स्वागत किया गया.

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