अपराधी होश में आये, सज्जनों के संरक्षक पुलिस हैं…

रतलाम | प्रकाश तंवर

अमृत महोत्सव में देवताओं की आपाधापी में ‘राहू+केतू’ जैसे भी अमरत्व के भागी हो गये। अर्थात् देवता की तरह दोनों दानव भी अमर हो गये। अतीत की तात्कालीन परिस्थितियों का फायदा बड़ी चतुराई से राहू-केतू ने उठाया। वर्तमान में भी सज्जनों की भीड़ में, कई राहू-केतू के चरित्र वाले वाले सभ्य समाज में, साफ सुथरे परिधान में, उजले-उजले से दिखाई दे रहे। जिन्हें पुलिस की ‘शंकालु आंखे’ ही देख सकती है। पुलिस अपने ‘अनुमान रूपी घोड़े’ पर सवार होकर, राहू+केतू रूपी अपराधियों को धर दबोचने में निश्चित रूप से कामयाब होती आई है। यदि दुनियाभर के धर्मग्रंथों के मूल में झांके तो कई-कई ‘वाकिये’ (संस्मरण) एवं उदाहरण ऐसे मिलते है कि अतित में भी स्वार्थसिद्धी के चलते धर्मी एवं अधर्मीयों में युद्ध होते आये तथा दोनो पक्षों के बीच सुलह-समझोते के प्रस्तावों पर भी विचार-विमर्श चलता रहा है। मृत्युलोक के आधुनिक युग में हम प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध पर नजर दौड़ाये तब भी ‘वार्ता’ चर्चा पर फोकस रहा। रण में शस्त्रों से लड़ाई चलती है। लेकिन ‘मानवीय शान्ति वार्ता’ आपसी सामन्जस्य समझौता नीति पर भी चर्चा जारी रहती है। वर्तमान में दुनियाभर में कहीं युद्ध संग्राम तो कही युद्ध विराम की खबरों को हम पढ़ते-सुनते और देखते है। हमारे देश के भीतर भी जाति,धर्म,पंथ सम्प्रदाय भाषा क्षैत्र सहित कई अन्य कारणों से कुछ समाजकण्टक देश के संविधान के विरूद्ध अपनी कार्यशैली को धरातलीय अमलीजामा पहनाने में लगे रहते है। उपरोक्त असंवैधानिक घटनाओं से निपटने के लिए भारतीय कार्यपालिका के मातहत शासन देश के संविधान की रक्षा के लिए कानून नियमों का मूल्कवासियों से अक्षरशः पालन करवाने के लिए दृढ़ संकल्पित रहता है। देश की सुरक्षा एजेंसी राज्यों की पुलिस  अपने-अपने कर्तव्यों के प्रति सजग हैं, वर्तमान में कई राजनैतिक पार्टियां  अपने-अपने समर्थकों में अति उत्साह दिखाते हुए ‘कानून हाथ में लेने तक की बात कह डालते है’ जिससे पुलिस एवं कुछ छुट्भय्ये नेताओं में अकारण नोंक-झोंक हो जाती है। ऐसे में उपद्रवियों को अपने कुकृत्यों को अंजाम देने का मौका मिल जाता है। और ए.सी., वातानुकूलित कक्ष में बैठे कुछ स्वार्थी नेताओं की ‘मन’ की हो जाती है। इस प्रकार के माहौल एवं वातावरण से बचने के लिए आम नागरिकों, को अपनी सज्जनता का परिचय देते हुए गुमराह होने से अपनो को एवं स्वयं को बचाना चाहिये। सदैव ‘कानून को साथ में लेकर चलना चाहिये, कुछ भ्रष्टाचारियों के उकसावें में आकर कभी कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिये। पुलिस नागरिक एवं स्वस्थ समाज की सुरक्षा व्यवस्था के लिए दृढ़ संकल्पित है। अथवा पुलिस एवं जनता की मजबूत कड़ी से ही सभ्य समाज का निर्बाध निर्माण संभव है। आमजन को भी दृढ़ संकल्पित होने की आवश्यकता हैं, कि वह समाज में जहां कही भी आपराधिक गतिविधियों को देखें तो पुलिस को सूचित करे। सज्जन बहुतायत में होने के बावजूद भी हम अपराधियों के भय से डरते है। यदि समूचे समाज में पुलिस एवं जनता में सकारात्मकता के भाव जागृत हो जाये, तो वो दिन दूर नहीं कि देश पुनः विश्व गुरू की पद्वी से नवाजा जाये। रतलाम जिले को कर्मठ पुलिस कप्तान के रूप में गौरव तिवारी मिले है। हम रतलाम जिला वासियों को, अपराध मुक्त जिला बनाने के लिए पुलिस परिवार के साथ आत्मिक सम्बंध बनाने की आवश्यकता है।

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