नगेन्द्र सिंह झाला
देश एवं प्रदेश में सरकारी गंभीर विषयों पर पूरी तरह गंभीर नहीं है मध्य प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार ने मंत्रिमंडल में फिर विवादास्पद प्रस्ताव पास कर सियासतबाजी में भावनात्मक खेल खेला। एक तरफ रेत माफियाओं से निपटने मे सरकार अक्षम होती नजर आ रही है, वहीं कुछ जाति बिरादरी को फोरेरूप से राहत देते हुए मुफ्त में रेत अपने काम के लिए लेने का सरकार ने फरमान जारी किया है। नेतागिरी में भारतवासियों को कई कई केटेगरी में डाल रखा है। लेकिन भारतीय समाज एक सूत्र में बंधा हुआ है। कुछ शातिर हमारे भोले भाले एसटी-एससी और प्रजापति कुम्हार भाइयों के कंधे पर बंदूक रखकर फिर फायर करने को तैयार रहेंगे अर्थात सरकारी आदेश अनुसार उपरोक्त जाती के बंधुओं को आगे करके सिस्टम के अनुरूप माफिया रेत कारोबार में फिर से सत्रिâय हो जाएंगे। आज देश और प्रदेश में सत्ताधारी अपनी वोट बैंक के च×ाâर में प्रकृति का दोहन करने में पीछे नहीं है। ऐसे में आमजन को नेताओं के फरेबी दावपेच को समझने की आवश्यकता है। चुनाव सर पर होने से शिवराज सरकार अवैध परिवहन पर भी दंडात्मक कार्यवाही के पक्ष में नहीं है, तथा वाहनों की अनावश्यक चेकिंग पर भी रोक है। ऐसे में अपराधिक प्रवृत्ति वाले बेखोफ, बेरोक-टोक अपनी कारगुजारी में लग जाएंगे। जिसका जिम्मेदार कौन होगा?

