रतलाम | मो. मेहफ़ूज़ खान
तू कितनी सुंदर है, प्यारी-प्यारी है ओ मां ओ मां ओ मां, मां शब्द में पूरा मुंह भर जाता है। मां का ही ममत्व होता है, कि मुर्दो को भी जिंदा कर देता है। इसीलिए मां के चरणों में स्वर्ग का आनंद होता है। बच्चे को मां के आंचल से बढ़कर कही छाव नहीं मिलती। देश-दुनिया में मां की दुआ-अरदास, प्रार्थना, प्रेयर के बूते पर ही संसार का संचालन वह परम पिता परमेश्वर, जिसे अल्लाह, ईश्वर, गॉड, कहा जाता है, कर रहा है। दुनिया भर के शास्त्रों में मां के स्थान को सर्वोपरि माना गया है। मृत्यु लोक में आज भी मां अपने बच्चों के लिए, वही हजरत बीवी फातमा के किरदार की तरह है। मां सीता के माहत्म की तरह है। अर्थात् जब कन्या-बेटी, बहू-बीवी, बनती है, तो उसे मां बनने का शोभाग्य प्राप्त होता है। और वह औलाद खुशनसीब होती है जिन पर ताउम्र मां का साया बना रहता है। मैं बात कर रहा हं सैलाना यार्ड स्थित चिश्तिया मस्जिद के नायब सदर जनाब ताज मोहम्मद अब्बासी के चाचा जात भाई (कजीन) की साहबजादी (बेटी) श्रीमती शबना की। जिसने अपने १२ वर्षीय बेटे मोहम्मद अमन को अपना गुर्दा देकर, दिर्घायु बना दिया। अहमदाबाद के चिकित्सालय में देश-दुनिया के हर एक मां-बाप, बहन-भाई एवं सज्जनों की शुभकामना से किड़नी देने वाली मां शबाना ओर बेटा अमन स्वस्थ्य है। आज हर बच्चा यही गुन-गुना रहा है- मां बच्चों की जां होती हैं, वो होते है किस्मत वाले जिनके मां होती है…।

