चुनाव जैसे-जैसे करीब आता है, राजनीति के मुखिया असहिष्णु होते जाते है। नेताओं के मन की बात नहीं होती हैं, तो कुछ लोग देशद्रोही जैसे वक्तव्य देते है। और यदि सत्ताधीशों की बात करें, तो उन्हें हर मुद्दे पर किसी भी हद तक बोलने से कोई रोक नहीं सकता। लेकिन विपक्ष यदि कटाक्ष करे, तो सत्ताधारियों की आंखों की किरकिरी बन जाते है प्रदेश में वर्षों से काबीज सी.एम. शिवराज सिंह का यह वक्तव्य की मुझे राजा-महाराजा (दिग्गी-सिंधिया) परेशान कर रहे है। और मैं पिछड़े वर्ग से आता हूं। बुद्धिजीवियों एवं जनसामान्य में यह चर्चा हैं कि प्रदेश का सी.एम. क्या पिछड़े वर्ग ने बनाय..? इस प्रकार जातिवर्ग का सहारा लेना लोकतंत्र को कमजोर करने वाले वक्तव्य है सवर्ण एवं अन्य जाति के भेदभाव कर सी.एम. चौहान राजनैतिक रोटियां सेकना बंद करें।
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