राजेश झाला ए.रज़्ज़ाक|
संसार में विद्यमान सभी धर्मों के तीर्थ स्थलों पर सांसारिक लोग जाकर दुआ, अरदास, प्रार्थना करते हैं | और अपने अपने धर्म अनुसार पूजा, अर्चना, अनुष्ठान, हवन-यज्ञ करते आए हैं| और यह प्रक्रिया सतत चलाएंमान रहने वाली है| कोई हाथ उठा कर अल्लाह से मांगता है, तो कोई सिर झुका कर ईश्वर से मांगता है| ईश्वर अल्लाह गॉड तक की रसाई (संपर्क) राब्ता, कायम करने वाले योगी, जोगी, ऋषि, मुनि, पीर, फकीर, सद्गुरु का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है| उपरोक्त अवधूत ब्रह्मनिष्ठ ही अध्यात्म की प्यास से दुनियादारों को तृप्त करवाने में समर्थ है| तीर्थ का शाब्दिक अर्थ होता पवित्र जब इंसान तीर्थ स्थल पर जाता है, अर्थात पवित्र जगह जाता है तो, इंसानों में जो अंतर्द्वंद चलता है, उस पर विराम लगने लगता है, तथा मन एवं मस्तिष्क में पवित्र अव्य का विस्तार होने लगता है, और हमारे अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के भाव स्थापित होने लगते हैं, इंसान की भक्ति जब रंग लाती है, तो दुनिया भी लोग उस वक्त साधक के प्रति श्रद्धा वान होने लगते हैं, व्यक्ति में सुमति का ग्राफ बढ़ने लगता है, व्यक्ति की संकल्प शक्ति दृढ़ होने लगती है | मध्य प्रदेश में तीर्थ दर्शन योजना का हजारों लोगों ने लाभ लिया है| रतलाम विधायक चैतन्य कश्यप तीर्थ यात्रियों का सम्मान किया, जो एक जनप्रतिनिधि का नैतिक कर्तव्य है, उसका ईमानदारी से निर्वाह किया है | फिर से मतलब पवित्रता इंसान के जीवन में जब आत्मसात होने लगती है तो इंसान व विवेकी बनने लगता है और वहां जीवन के प्रत्येक पहलुओं पर गंभीरता से चिंतन करता है व्यक्ति स्वयं से लगाकर अपनी गृहस्ती परिवार खानदान तथा समाज व राष्ट्र के प्रति खुद की अपनी जिम्मेदारी तय करता है, तथा अब तीर्थयात्री बिना किसी प्रलोभन मोह माया के बगैर ही आने वाले प्रजातांत्रिक उत्सव में अपना निर्भीकता से रखेगा | अर्थात मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में तीर्थयात्री मतदाताओं को भी अपना नैतिक दायित्व समझना होगा, तथा घ्रणित राजनीति दूषित वातावरण का अनावरण करने वालों की पृष्ठभूमि को समझ कर योग्य, ईमानदार जनप्रतिनिधि के हाथों में अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मतदाता दे | तभी मन, वचन, कर्म की पवित्रता से पवित्र राजनीतिक वातावरण निर्मित होगा|

