एक अफवाह ने वक्फ मददगारों की उड़ाई नींद, पुराने आदेश को नए फरमान से जोड़ फैलाई जा रही अफवाह…

भोपाल। जनवकालत न्यूज़

प्रदेशभर के वक्फ जिम्मेदारों की नींद उड़ी सी दिखाई दे रही है। वजह एक पुराने आदेश की गलत व्याख्या कर उसके अपने तरीके से अर्थ निकाले गए हैं। मप्र वक्फ बोर्ड के कांग्रेस शासन में गठन को लेकर अदालत के एक आदेश को इस बात से जोड़ दिया गया कि नए आदेश द्वारा प्रदेशभर की जिला कमेटियों को काम करने से रोक दिया गया है। एक पंक्ति के आदेश में समाप्त कर दी गईं जिला कमेटियों की भ्रामक खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। जिसके बाद वक्फ ओहदेदारों के फोन लगातार मप्र वक्फ बोर्ड के दफ्तर में घनघना रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार शाम को सोशल मीडिया पर अदालत के एक आदेश की प्रति को वायरल कर इसके साथ तहरीर लिखी गई है कि मप्र वक्फ बोर्ड ने एक पंक्ति के आदेश में प्रदेशभर की जिला कमेटियों को भंग कर दिया है। इसके साथ इस बात को भी जोड़ा गया कि इस मामले में अदालत ने भी स्टे देने से इंकार कर दिया है। बताया जाता है कि दरअसल यह अदालती आदेश उस प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है, जो पिछले माह एक स्थगन आदेश के लिए लगाई याचिका को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने दिया था। इस आदेश में हाईकोर्ट ने मप्र वक्फ बोर्ड की उस छह सदस्यीय कमेटी को प्रदेश सरकार द्वारा भंग कर दिए जाने को दुरुस्त और नियमानुसार करार दिया था। सूत्रों का कहना है कि अंग्रेजी के इस आदेश को कुछ कम पढ़े-लिखे और अदालती भाषा न समझ पाने वाले उत्साही लोगों ने जिला कमेटियों के खिलाफ दिए गए फरमान से जोड़ दिया और इसको लेकर सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार शुरू दिया है। नतीजा यह है कि प्रदेशभर में मौजूदा जिला कमेटियों को अपने वजूद को लेकर फिक्र खड़ी हो गई और वे हर उस व्यक्ति से इस बात की तस्दीक करने में जुट गए हैं, जहां से उन्हें जारी हुए आदेश की हकीकत पता लग सके।
क्या है आदेश-
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस शासनकाल के आखिरी दिनों में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मप्र वक्फ बोर्ड की एक छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। लेकिन सरकार बदलते ही भाजपा सरकार ने इस कमेटी को निरस्त कर दिया था। इस कमेटी में शामिल सदस्यों ने सरकार के इस फैसले को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्थगन आदेश की मांग की थी। लेकिन बताया जाता है कि अदालत ने सरकार के फैसले को दुरुस्त करार देते हुए स्थगन देने से इंकार कर दिया था। 14 जुलाई 2020 को जारी अदालत के इस आदेश के खिलाफ नवगठित और बाद में भंग कर दी गई कमेटी के सदस्यों ने पुन: अदालत का दरवाजा खटखटाकर इस बात की गुजारिश की थी कि इस मामले में उनका पक्ष सुने बिना कोई फैसला न लिया जाए। बताया जा रहा है कि अदालत ने इस याचिका को स्वीकार कर कमेटी ओहदेदारों को सुनवाई का मौका देने की सहमति दे दी है।

एक पंक्ति में भंग नहीं होती सारी कमेटियां-
वक्फ जानकारों का कहना है कि जिस तरह कोई वक्फ कमेटी बनाने के लिए नियम हैं, उसी तरह बनी हुई कमेटी को भंग या बर्खास्त करने के लिए भी नियमों का पालन करना होता है। वक्फ अधिनियम  1995  के प्रावधानों के अनुसार किसी कमेटी को बर्खास्त करने से पहले उसे धारा 67/2 का नोटिस देना अनिवार्य है। इस नोटिस के जवाब में संतोषजनक स्थिति न बनने पर कमेटी भंग करने के हालात बन सकते हैं।

https://www.kamakshiweb.com/

Read Also

About Us

Janvakalat News Portal is the fastest growing news platform of Madhya Pradesh. For the last few years, we are constantly trying to provide our readers with the news that is important for them.