राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं म0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार तथा श्रीमान् मृत्युंजयसिंह, जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष महोदय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रतलाम के निर्देशन मे तथा श्री विष्णु कुमार सोनी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रतलाम की अध्यक्षता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रतलाम द्वारा विधिक जागरूकता कार्यक्रम अंतर्गत दिनांक 01.09.2018 से दिनांक 23.10.2018 तक रूपरेखा अनुसार किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 पाक्सो अधिनियम, बाल अधिकार, वैकल्पिक विवाद समाधान/मध्यस्थता/लोक अदालत एवं ई-कोर्ट प्रोजेक्ट एवं उसकी उपयोगिता से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किये जाने है।
विधिक जागरूकता कार्यक्रम के क्रम में आज बाल अधिकार विषय पर श्री राजेन्द्र कुमार दक्षणि, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, रतलाम द्वारा डाॅ. श्री कैलाश नाथ काटजू विधि महाविद्यालय रतलाम में विधि विद्यार्थियों को बाल अधिकार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि सबसे पहले बाल अधिकार के बारे में जो विचार विमर्श किया वह संयुक्त राष्ट्र संघ में 1945 को किया गया और इसके तहत इसमें सभी देशों ने यह तय किया गया कि बालकों के क्या अधिकार होना चाहिए, इसमें लगभग 54 अनुच्छेदों को निर्मित किया गया, इस संबंध में बालकों के अधिकार से संबंधित चकमक पत्रिका जारी होती है और उसमें बालकों के विकास के संबंध में कानून के बारे में जानकारी दी जाती है। सन् 1990 में भारत भी संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़ा और अपनी सहयोगिता दर्शित की। यह माना जाता है कि बच्चे के पूरे औचित्त विकास परिवार के बीच में भी हो सकता है इसलिये उसे परिवार में रहने का अधिकार है और बाल अधिकार से संबंधित अनुच्छेदों में निम्न अधिकार शामिल हैं जैसे-प्रत्येक बच्चे को जीने का अधिकार, खाने-पीने, घूमने-फिरने का अधिकार, प्रत्येक बच्चे को पढ़ाई-लिखाई का अधिकार, प्रत्येक बच्चे को अपनी बात कहने और जताने की छूट का अधिकार है वह मौखिक और लिखित में अपनी बात का जबाव दे सकता है, अपनी उम्र के हिसाब से मनोरंजन करने एवं अपनी पसंद की किसी भी अन्य तरीके की जानकारी दे सकते है, शांतिपूर्ण तरीके से इक्कठे होने और आर्थिक और शारीरिक तरीके से बचने का अधिकार है इस प्रकार श्री दक्षणि द्वारा विधि विद्यार्थियों को कई प्रकार की शाॅर्ट स्टोरियांे के माध्यम से बालकों के अधिकार को समझाया।
उक्त कार्यक्रम में श्री विष्णु कुमार सोनी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रतलाम ने अपने उद्बोधन में बताया कि बालकों को पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए हमें अपने बच्चों को कभी भी प्रताड़ित नहीं करना चाहिए और अपने जीवन में सौहार्दपूर्ण, शांति से समय व्यतीत करना चाहिए।
उक्त जागरूकता कार्यक्रम में कार्यक्रम में श्री कैलाश व्यास, सदस्य, डाॅ. श्री कैलाशनाथ काटजू विधि महाविद्यालय, सुश्री अंकिता प्लास जिला विधिक सहायता अधिकारी, प्रभारी विधि महाविद्यालय श्री कमलेश मोर्य, सहायक प्राध्यापक एवं समस्त विधि स्टाफ एवं विधि विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का मंच संचालन चेतन ग्वालियरी, विधि छात्र एवं आभार श्रीमती अनुराधा तिवारी, प्राचार्य विधि महाविद्यालय द्वारा माना।