हिम्मत पाटीदार की नेतागिरी का रसूख सर चढ़कर बोला…
राजेश झाला ए. रज़्ज़ाक
रतलाम जिले के कमेड गांव में पिछले सप्ताह हिम्मत पाटीदार नामक व्यक्ति के नाम से जो सियासतबाजी हुई है, इससे स्पष्ट होता है कि ऐसे कई “हिम्मत” देश में होंगे, जिन्होंने कूटरचित में महारत हासिल कर रखी होगी|स्वयं को मृत साबित करने में आरोपी को पुलिस एफ आई आर, शिनाख्ती मौकामुआयना पंचनामा आज ही काफी राहत देने वाला साबित हुआ, लेकिन प्रकृति का नियम हमेशा सत्य को उजागर करने वाला होता है| कुछ मुट्ठीभर लोगों ने हिम्मत पाटीदार के नाम पर राजनीति कर आवाम को बरगलाने की बड़ी-बड़ी कोशिश की, लेकिन मध्य प्रदेश के नागरिक गंभीर एवं विवेकशील होने से कुछ अवसरवादी अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाए| मध्य प्रदेश की कांग्रेस कमलनाथ सरकार ने निष्पक्ष जांच के संकेत शासन स्तर पर जो दे रखे हैं, उसी का परिणाम है कि, कमेड में षडयंत्र कर हिम्मत पाटीदार के रूप में मदन मालवीय की निर्मम हत्या की गुत्थी पुलिस सुलझाने में सक्रिय है आखिर हिम्मत पाटीदार की कैसे लोगों के साथ संगत है? वह कौन लोग, समूह है? जो युवाओं को धन, पैसे, रुपयों के लिए अनुचित कार्यों में धकेलने से परहेज नहीं करते हैं| मीडिया में जिस संगठन का नाम आ रहा है, वह तो संस्कारों एवं संस्कृतियों को जिंदा रखने की बात करते हैं| ऐसे में किसी भी पार्टी दल संघ को बदनाम करने वाले भी प्रत्येक समूह में कंकड़ की तरह रहते हैं| यदि लोकतंत्र में विकृत मानसिकता वालों की फेहरिस्त बढ़ेगी तो, निश्चित रूप से हिम्मत पाटीदार जैसों का जीवन नर्क बनता रहेगा| जिसका जिम्मेदार कौन? देश में राजनीतिक संरक्षण से गुंडों, बदमाशों के हौसले बुलंद हैं| सत्ताधारी पुलिसिया कार्रवाई को निष्पक्ष संपादित करवाने में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जब तक सहयोग नहीं करेंगे आम जनता को सुप्रशासन का लाभ नहीं मिल पाएगा| क्या स्वर्गीय मदन मालवीय के प्रति भी सियासत करने वाले लोग संवेदनशील होंगे? आखिर पीड़ित परिवार के भरण पोषण के लिए नेताओं का दिल पसीजेगा या नहीं….?

