रतलाम/जावरा। ए. रज्ज़ाक
मध्यप्रदेश में महिला बाल विकास विभाग ने भाजपा सरकार के समय से ही अनियमितताओं में महारत हासिल कर रखी है। छोटे से लगा कर बड़े-बड़े जिम्मेदार विभाग को अपनी मनमर्जी से चलाते आए हैं। पूरे प्रदेश का लगभग 55% भ्रष्टाचार इसी विभाग से होना आम जनता द्वारा बताया जा रहा है। प्रमाण के तौर पर जो मैदानी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, उनके माथे पर स्टेशनरी, फोटो कॉपियों का खर्च विभाग के संबंधित लोग डाल देते है। राष्ट्रीय कार्यक्रमों से लगाकर राजनीतिक कार्यक्रम को सफल बनाने में इन्हीं छोटे कार्यकर्ताओं की मेहनत रहती है। पौष्टिक आहार में गड़बड़ी की बड़ी बड़ी घटनाओं पर विभाग के कनिष्ठ से लगाकर वरिष्ठ सभी लीपापोती में लग जाते हैं। जावरा के कुंदन कुटीर कांड में महिला अफसर होने के बाद भी महिलाओं पर ध्यान नहीं दिया जाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। भाजपा की शिवराज सरकार में सन 2017 में जब जावरा की कुंदन कुटीर में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी सुषमा भदोरिया को थी तो फिर आखिर वह कौन सी परिस्थितियां रही कि महिला सशक्तिकरण अधिकारी मिश्रा और सुषमा ने संदिग्ध रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यहां तक कि भदोरिया निरीक्षण के लिए गई तक नहीं! सत्ता में रसूख रखने वाले नेताओं अफसरों की बंदरबांट का परिणाम यह निकला कि बेसहाराओ को सहारा देने के नाम पर शासकीय धन का अपव्यय हुआ है, और भारतीय समाज को लज्जित करने का काम हुआ है। जिससे देशवासियो, समाजवासियों की भावनाएं आहत हुई हैं। क्या सरकारी रोबदार व्यक्तित्व पर कड़ी कार्रवाई कमलनाथ सरकार कर पाएगी? प्रदेशभर में बालिका गृह को जिला मुख्यालय पर स्थापित करने का सीएम निर्णय लेंगे? यदि प्रदेश की कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने समय रहते पीड़ितों को न्याय दिलाया, तो निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, और प्रदेश का गौरव बढ़ेगा।

