जिसका कोई नहीं, उसका तो खुदा है यारो…
रतलाम | प्रकाश तंवर
‘ला’ का मतलब होता है ‘नही’ (नकारात्मक) ला ईलाज- अर्थात् किसी भी परिस्थिति में किसी भी विषय का उपचार नहीं है। इंसान जब किसी समस्या का निदान ढूंढ नहीं पाता है, इंसानों के जद के बाहर की परिस्थितियां निर्मित हो जाती है। तब हम परम पिता के सहारे होने लगते है। जब दुनियाबी माता-पिता कुटुम्ब कबीले का साया व्यक्ति के सिर उठ जाता है, तो अल्लाह (ईश्वर) ऐसे लोगों के लिए भी मानव को ही सहारा बना देता है। क्योंकि दुनिया सृष्टि का सुप्रिमो दृष्टा मात्र है। जो स्वयं कुछ नहीं करता, विंâतु अपनी अलौकिक लीलाओं के माध्यम से स्वयं के विद्यमान होने का प्रमाण जरूर देता आया है। पृथ्वी पर जो है, वह एक समय के बाद नहीं रहेगा। शास्त्र इस बात के गवाह है। जो ‘जड़’ है, वह ‘चेतन्य’ की ओर अग्रसर होता है। और जो ‘चेतन्य’ वह ‘जड़’ में विलीन होने की प्रक्रिया में सतत् लगा हुआ है। वह पार्थिव शरीर से मृत्युलोक से छुटकारा पाकर चेतन्य लोकवासी बनने की चाह में जप-तप-यज्ञ, पूजा-अर्चना, प्रार्थना, दुआ कर अपने ‘अखिरत’ की पवित्र भावनाओं के साथ दुआ अरदास करता है। मानव स्वभाव है, व्यक्ति अपनी रूचि इच्छानुसार भक्ति, इबादत करता है और परम पद का अधिकारी परमात्मा की दया से बनता है। व्यक्ति कितनी भी भक्ति इबादत कर लें। विंâतु अल्लाह (ईश्वर) का दया पात्र तब ही बन पायेगा, जब इंसान मानवसेवा निष्कपट, निस्वार्थरूप से करे। देश के मध्यप्रदेश के रतलाम जिला मुख्यालय पर जनसेवक सुरेश तंवर ने पिछले कई वर्षों से सभी धर्मावलम्बीयों की यतीम, लावारिस शव, लाश जनाजे का अपने-अपने रिति-रिवाजों के माध्यम से अंतिम संस्कार का बीड़ा अपने कुछ साथियों के साथ उठा रखा है। जो मानवता सभ्यता का प्रशंसनीय सेवाकार्य है। इसी तारतम्य में 03 अक्टूबर बुधवार को जवाहर नगर मुक्तिधाम से राम मंदिर तक लावारिस मृत आत्माओं की अस्थिकलश यात्रा निकाली गई। अतृप्त आत्माओं की शांति के उद्देश्य से अंतिम विदाई यात्रा का जवाहर नगर मेन रोड़ स्थित राष्ट्रीय साप्ताहिक जनवकालत कार्यालय पर सम्पादक राजेश झाला ए. ऱजाक, प्रबंध सम्पादक प्रकाश तंवर, श्रीमती कमलेश चौहान, श्रीमती ज्ञानवुंâवर झाला, सलमा शेख, भीमसिंह भाटी, मुकेशराव वर्णीकर, रवि लोदवाल, यश तावरे, विरेन्द्र सिंह पाटील, नीतिन सिंह झाला, कुं. राजवीर सिंह चौहान, श्रीमती मंजू कछावा, राजेन्द्र सिंह झाला, सहित आसपास के क्षैत्रवासियों ने पुष्पांजली अर्पित कर मृत आत्माओं की शान्ति, मोक्ष के लिए मगफितर की दुआ की। अतृप्त आत्मा का पिण्डदान तर्पण ०५ अक्टूबर शुक्रवार को हरिद्वार में किया जावेगा। जवाहर नगर मुक्तिधाम समिति के अध्यक्ष पं. शेलेन्द्र शर्मा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि पितृपक्ष के उपलक्ष्य में समस्त आत्माओं की शान्ति के लिए 03/10/2018 से 09/10/2018 तक दोपहर 02 से 05 बजे तक सात दिवसीय भागवत् कथा का आयोजन किया गया है। जिसमें क्षैत्र की धर्मप्राण जनता से भागवत् श्रवण करने की अपील की गई है।

