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महंगाई, बेरोजगारी से नेता हो गये दूर

breaking रतलाम

चार साल बेमिसाल का जुमला कब होगा सार्थक..?

रतलाम| प्रकाश तंवर
रतलामी भाजपाई ब्राण्डेड अखबारों में आम मतदाताओं को बताने के लिए बड़े-बड़े इस्तेहार, विज्ञापनों का प्रकाशन करवाकर दिखाया जा रहा है कि ‘‘40 साल की समस्या 04 साल में समाधान’’ उक्त जुमले पर रतलामी नागरिक चटकारे लेते हुए भाजपाई भण्डारे में जा रहे है, और आपस में पुâस-पुâसा रहे हैं, कि 40 साल में से 15 वर्ष तो शिवराज की भाजपा सरकार मध्यप्रदेश में काबीज है। तो भाजपाई नेता अपनी सरकार का बखान कर रहे है, या आम मतदाता को वर्षों की समस्या से रूबरू करवाकर, यह बताना चाह रहे है कि प्रदेश के रतलाम में सिर्पâ शिव सरकार विगत वर्षों से ही समाधान ढूंढने में लगी है। मेडिकल कॉलेज का शुभारम्भ का रास्ता यू.पी.ए की मनमोहन सरकार ने खोला था। तभी कांग्रेस के सांसद कांतीलाल भूरिया ने 189 करोड़ रूपए स्वीकृत करवाये। भाजपा 40 साल से जो समस्या की बात कर रही है। उसमें प्रदेश में सकलेचा सरकार, पटवा सरकार भी काबीज रही है। वही केन्द्र में भी एन.डी.ए सरकार काबीज रही। ऐसे में रतलामी भाजपाईयों का 04 साल बेमिसाल के जुमले में उन गरीबों की रोटी अनाज का हिसाब भी सत्ताधीशों को देना चाहिये। जिनके मिलने वालों ने शासकीय उचित मूल्य के अनाज की कालाबाजारी की है। बेमिसाल चार साल में कन्ट्रोलिये (राशन दुकानदार) बड़े-बडे दलाल बन गये। रसूख के दम पर बोगस राशनकार्ड बनाकर, सरकार और शासन की आंखों में धूंल डाल दी। और अब प्रदेश के सरकारी अनाज के महाघोटाले की जांच करने वाले ईमानदार जिम्मेदारों का, राजनैतिक सिंडिकेट तबादला करवा देते है। 50 साल की मेडिकल कॉलेज की लड़ाई जनता ने जीती है। ना कि किसी पार्टी के खास ने। कॉलर खड़ी करने वाले भाजपा नेता 04 साल में रतलाम के बेरोजगारों के लिए रोजगार तक तो उपलब्ध नही करवा पाए और बात करते है मेडिकल कॉलेज की।

इनके चार साल बेमिसाल का जुमला तो तब सार्थक होता जब ये बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाते और हकीकत तो यह है कि रोजगार तो दूर यहां तो दूर-दूर तक इस बेरोजगारी के विषय में कोई बात तक नहीं होती, और भविष्य में भी इनके पास कोई ऐसी योजना नहीं है जिससे कि इन बेरोजगारों के लिए कोई योजना इस तात्कालिन सरकार ने बनाई हो। बस यहां के युवाओं का तो समय-समय पर उपयोग किया जा रहा है, आज ये साहब आ रहे है, आज इस संगठन का कार्य है तो इतनी गाड़ी आपकों लाना है, इतने लड़के आपकों लाना है, और भीड़ का प्रदर्शन करना है।
महंगाई के नाम पर नेताजी के सार्वजनिक उदबोधन सुनने में नहीं आते। नोटबंदी, पेट्रोल, डीजल की समस्या से बेखबर नेताजी अपने-अपने क्षैत्र के मतदाताओं को किसी तरह अपने पक्ष में करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। क्या कारण रहा कि चुनाव की तारीख फिक्स हो गई और आचार संहिता के पहले आनन-फानन में भूमि पूजन की राजनीति की जा रही है। जब वर्षों से भाजपा सत्ता में है, तो वर्तमान में शिलान्यास की जगह भव्य औद्योगिक ईकाईयों का उदघाटन होना चाहिये था। ताकि युवा हाथों को सरकारी खेरात पर नहीं जीवन जीना पड़ता। और रोजगार हाथ प्रदेश के विकास में तन-मन-धन से यथाशक्ति सहयोग करता। क्या प्रजातंत्र की स्वस्थ्य परम्परा का आम मतदाता निर्भिक एवं निस्वार्थ होकर निर्वाह करेगा..?

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