प्रदेश में भाजपा को मतदाता हरा सकते हैं ना कि कांग्रेस..

रतलाम | प्रकाश तंवर
मध्यप्रदेश में कांग्रेसी राजनेता आपस में समन्वय बनाकर, शिवराज की भाजपा सरकार से लोहा लेने के लिए अपनी पूर्ण राजनितिक ऊर्जा लगा रहे हैं। वही रतलाम ग्रामीण एवं शहर में संगठन की हालत दयनीय है। आलाकमान ने बदलाव के नाम पर रतलाम जिला कांग्रेस कमेटी सहित रतलाम शहर के पदाधिकारी तो बदल डाले किंतु नेताओं की संगठनात्मक योग्यता का ख्याल नहीं रखा। जिससे प्रदेश कांग्रेस द्वारा किये गये पेâरबदल से स्थानीय स्तर पर प्रतिवूâल प्रभाव पड़ेगा। आम कांग्रेस जनों के अनुसार जिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद से प्रकाश प्रभु राठौर को हटाने के बजाय नए जिलाध्यक्ष भरावा को उनके साथ पूर्ण ताकत देते तो निश्चित रूप से जिले के मतदाताओं में नकारात्मक संदेश नहीं जाता। क्योंकि चुनाव के समय तत्काल राठौर को हटाकर नई नियुक्ति करने से कांग्रेसजन में बिखराव पैदा हो गया है। पिछले ६ जून २०१८ के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदसौर दौरे से उज्जैन संभाग एवं विशेषकर मंदसौर, जावरा, रतलाम जिले पर गांधी के सारगर्भित उद्बोधन से आम नागरिक कांग्रेस को भाजपा का विकल्प मानने लगे हैं। वही संगठन में राजनीतिक उठापटक पर विराम लगेगा तभी कांग्रेस वैतरणी पार कर पाएगी। कांग्रेस आलाकमान जब तक स्थापित नेताओं के ‘‘पर’’ अपने स्वार्थ के कारण काटती रहेगी तब तक पार्टी सत्तासीन नहीं हो पाएगी । रतलाम शहर में कांग्रेस संगठन पर हमेशा बड़े नेताओं का दबाव बना रहता है जिससे संगठन पदाधिकारी चाह कर भी स्वेच्छा से पार्टी हित में निर्णय नहीं ले पाते हैं। स्मरण रहे पिछले दिनों रतलामी कांग्रेस पदाधिकारियों को सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करने पर भी खंडन करना पड़ा था जिससे भाजपाइयों के हौसले बुलंद है । क्योंकि कांग्रेसियों की स्वयं की पार्टी में ही नहीं चलती है तो आमजन की लड़ाई क्या लड़ेंगे…? शहरवासी चौराहों पर ठहाका लगाकर बतिया रहे हैं कि ऊपरी स्तर पर समझौते के तहत आयातित प्रत्याशी को कांग्रेस के टिकट पर लड़वाकर भाजपा प्रत्याशी को भोपाल पहुंचाने की गणित है जो आम मतदाताओं को गले उतरती नजर आ रही है। कांग्रेसी बड़े नेता कच्चे कान के होते हैं इसलिए कई बार पार्टी के कद्दावर, ताकतवर, जनप्रतिनिधियों, नेतृत्वकर्ताओं को नेता अपने गुर्गों के माध्यम से कमजोर करने में लग जाते हैं। यही कारण है कि रतलाम सहित पूरे प्रदेश में कांग्रेसी विचारधारा वाले बहुतायत में होने के बावजूद पिछले १५ वर्षों से सत्ता से बाहर है। पूर्व जिला अध्यक्ष प्रभु राठौड़ जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं जिन्हे पंचायतों एवं बूथ स्तर की पूरी जानकारी है फिर भी अतिउत्साही कांग्रेस ने राठौर की सेवा लेना क्यों उचित नहीं समझा…?

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