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पुलिस के अनुशासन को समाज करेगा आत्मसात

breaking रतलाम

रतलाम | प्रकाश तंवर

जब हम हमारे हाथ के पंजे की तर्जनी उंगली किसी को बताते है, तो बाकि बची तीन उंगली हमें स्मरण दिलाती हैं, कि सामने वाले इंसान में यदि कुछ गलती है, तो हममे भी, उस सामने वाले इंसान से कुछ अधिक ही अधिरता है। अर्थात् किसी भी मामले में यदि हम वास्तविकता को जान ले, तो निश्चित रूप से सामने वाला इंसान आपकी ईच्छाओं का तथा आपके बताये गये काम को ससम्मान फॉलो करेगा। रतलाम जिला पुलिस अधिक्षक (एस.पी) श्री गौरव तिवारी ऐसे पुलिस कप्तान है, जो पहले स्वयं अनुशासन में रखते है, फिर नियमानुसार अपनी दिनचर्या को गति देते है। यही कारण है कि पुलिस प्रशासन में वर्तमान में चुस्ती-पूâर्ति एवं कसावट है। ध्वनि प्रदूषण को लेकर सिंघम तिवारी गम्भीर है। और उन्होंने रतलाम जिले के समस्त थाना क्षैत्रों के वाहनों को प्रदूषण रहित करने की दिशा में मुकम्मिल कदम उठाये है। वही आमजन को भी सकारात्मक संदेश दिया है कि वाहन चालक या वाहन मालिक अपने साथ पॉल्यूशन अंडर वंâट्रोल (पी.यू.सी) सर्टिफिकेट अपने साथ रखे, साथ ही स्टाफ सहित जनमानस यातायात के नियमों का विधिवत पालन करें। स्मरण रहे शहर में बैतरतीब वाहन चालको के घर ई-चालन भेज रहे है। शहर के प्रमुख चौराहों पर सी.सी. वैâमरे पुलिस की तीसरी आंख के रूप में काम कर रहे है। अब शहरवासी यातायात नियमों के प्रति जागरूक होने लगे है, वही आपराधिक पृवत्ती वाले वैâमरे से अपने आपको बचाने में, होश में आ रहे है। अब शहर एवं देश के लिए सुखद संदेश है कि एक बड़ा तपका स्वयं का आत्मनिरीक्षण कर नशा मुक्ति अभियान से जुड़ रहा है। जिससे युवाओं का आत्मबल बढ़ेगा। तथा युवाओं में रचनात्मक भाव पैदा होंगे। पुलिस विभाग में एक जवान से लगाकर उच्च पदस्थ अधिकारी में यह योग्यता ठूस-ठूस कर भरी होती है, कि वह उड़ती चीड़िया की उड़ान को अच्छे से भांप लेते है। अर्थात् व्यक्ति के चाल-चलन को समझने में पुलिस को देर नहीं लगती। तथा रतलाम जिले की पुलिस दिशाहीन युवाओं का सही मार्गदर्शन कर रह है। जो भारतीय समाज के ताने-बाने को मजबूती देने वाला साहसिक एवं स्वागत योग्य कदम है। सिंघम (एस.पी.) गौरव तिवारी जैसे दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्वों की देश को बहुतायत में जरूरत है।

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