
राजेश झाला ए. रज़ाक
सत्ता के मद में राजनीतिक नशा सर चढ़कर बोल रहा है। ऐसी स्थिति में भारतीयसमाज में नवपीढ़ी को मादक पदार्थों का क्रेज दिमाग में जबरदस्त बैठ गया है। आज युगल वर्ग चाय, दूध, कॉफी की जगह बियर, शराब से अपनी जिव्हा को तर करने में लगा है।
देश के लगभग 65 प्रतिशत के आसपास युवा तुर्क नशे के आदि बनते जा रहे हैं। हाथो में काम नहीं है, लेकिन मुंह पर बोतल के चटकारों से जवान खून हसीन सपनो की दुनिया में गुम होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में एक बड़ा तपका युवा ताकत का मनचाहा इस्तेमाल करने पर आमादा हैं। यदि समय रहते रोजगार के अवसर देशवासियों को नहीं मिलेंगे तो, हो सकता हैं, जवान राष्ट्र समय से पहले कमजोर हो जाए।


आज सरकारों में बैठे जिम्मेदारों का यह नैतिक कर्तव्य हैं कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश के बेरोजरों की सुध ले, वर्ना चीन जैसा राष्ट्र मणिपुर, लद्दाख को अपना निशाना बना रहा हैं। आने वाले समय में हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग पड़ जाएंगे। अब लच्छेदार भाषणों की नहीं अपितु धरातलीय स्थितियों के निराकरण का माकूल वक्त है। नेतृत्वकर्ता भारतवासियों के “मन की बात” पर गौर करे और आरोपों की स्पर्धा को बंद कर राष्ट्रहित में वासुदेव कुटुम्बकम की भावना को बलीवती करें।