राजेश झाला ए. रज़ाक संपादक

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को सभी संसद सदस्य जानते हैं। पिछले 5 वर्ष के सत्र में जरूर बिरला के निशाने पर विपक्ष था, लेकिन अब प्रतिपक्ष के निशाने पर लोकसभा अध्यक्ष है। लोकसभा अध्यक्ष का अव्यवहारिक होना लोकतंत्र के इतिहास में अशोभनीय है, साथ ही भाजपा सहित पूरे एनडीए की सांख पर बट्टा लग रहा है, जिसका राजनीतिक फायदा समूचे विपक्ष को देश में मिलेगा।
यदि विपक्ष लोकसभा में अध्यक्ष के विरुद्ध विश्वास खो देने वाली प्रक्रिया अपना ले और हो भी सकता है कि “बिल्ली के भाग से छींका टूट जाए” और यदि विपक्ष एक मत भी गिनती के दौरान अधिक ले आई तो पीएम सहित सरकार की बड़ी किरकिरी हो जाएगी। वर्तमान में भारत सरकार के नेतृत्वकर्ताओं के सामने बड़ी-बड़ी चुनौती है।


भाजपा संगठन में पनपता असंतोष, संघ में खींचतान, साथ ही एनडीए घटक दलों में सामंजस्यता की कमी, यह सारे बिंदु पीएम मोदी एवं गृह मंत्री शाह को अंदर ही अंदर कमजोर कर रहे हैं। ऐसे में माननीय अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा माननीय सदस्यों को फटकारना “करेला और नीम चढ़ा” वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है, जो स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए हानिकारक है। समय रहते यदि मोदी, शाह लोकसभा अध्यक्ष को 20-20 टीम से हटाकर, टेस्ट मैच वाली टीम में रहने के संकेत नहीं देते हैं, तो देश में कभी भी विपक्ष माकूल समय में पटकनी देने से नहीं चुकेगा।