कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाले जीतू मालवीय ने कंपनी के अधिकारी से कहा आंदोलन मेरे हाथ में अभी रुकवा दूंगा…

रतलाम/जनवकालत न्यूज। रतलाम की मेडिसिन कंपनी इप्का लेबोट्रीज में ठेका कर्मचारियों को भड़काने व हड़ताल समाप्त करने के एवज में 5 लाख रुपए मांगने का मामला सामने आया है। फैक्ट्री के सिक्युरिटी एग्जीक्यूटिव की रिपोर्ट पर थाना औद्योगिक क्षेत्र ने हड़ताली कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाले अखिल भारतीय बलाई महासंघ रतलाम के युवा जिला अध्यक्ष जीतू मालवीय के खिलाफ केस दर्ज कर गुरुवार सुबह उसे गिरफ्तार कर लिया।
जानकारी के अनुसार कंपनी के सिक्युरिटी एग्जीक्युटिव हरिशचंद्र सिंह राठौर (44) पिता रघुवीरसिंह राठौर निवासी सन सिटी रतलाम ने जीतू मालवीय के खिलाफ थाना औद्योगिक में शिकायत की। शिकायत में बताया कि हड़ताल के पूर्व जीतू मालवीय 7 जून को कंपनी के गेट नं. 4 पर आया। कंपनी के अधिकारियों हरिशचन्द्र सिंह राठौर, पार्थ नंदा, राजेश हारोडे, अंशुल चौहान एवं ठेकेदार महेंद्र कटारिया, प्रदीप उपाध्याय तथा ओमप्रकाश रोहिल्ला ने समझाया कि आपके द्वारा उठाया गया मुद्दा न्याय संगत नहीं है। मप्र. शासन श्रमायुक्त इंदौर द्वारा जारी अधिसूचना की कॉपी भी दिखाई। जीतु मालवीय को यह भी समझाया कि कंपनी शासन द्वारा निर्धारित दर से ही सभी ठेका श्रमिकों को वेतन दिया जा रहा है।


आंदोलन मेरे हाथ में रुकवा दूंगा-
8 जून को जीतू मालवीय ने सिक्युरिटी एग्जीक्यूटिव हरिशचन्द्र सिंह राठौर से संपर्क किया। तब मालवीय को कंपनी के गेट 2 पर आने को कहा। वहां पर राठौर व कंपनी के अधिकारी पार्थ नंदा ने कंपनी के विजीटर रूम में बैठकर चर्चा की। मालवीय ने कहा कि यह आंदोलन मेरे हाथ में है। अगर मैं यह आंदोलन रूकवा दूं तो मुझे क्या मिलेगा। आप लोग मेरे लिये क्या कर सकते हो। मेरे पीछे 5 लोग और भी है। जब मालवीय से पूछा कि आप ही बताओं की आप क्या चाहते हो। तब वह वहां से अगले दिन बात करने की बात कहते हुए चला गया। उसी दिन रात 8 बजे बजे मालवीय का वाट्सअप पर मोबाइल पर कॉल आया। उसने कहा कि कंपनी से 5 लाख रूपये नगद दिलवा दों या कंपनी में ठेका दिला दो।
शिकायकर्ता राठौर द्वारा रुपए मांगने के साक्ष्य पुलिस को उपवब्ध कराए। इसके बाद थाना औद्योगिक पुलिस ने जांच के बाद जीतू मालवीय निवासी जावरा के खिलाफ धारा 384 भादवि के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है।
बता दे कि रतलाम जावरा फोरलेन स्थित दवा कंपनी इप्का के अस्थाई कर्मचारियों ने 10 जून को हड़ताल कर दी थी। करीब 200 से अधिक कर्मचारी कलेक्टोरेट में आकर धरने पर बैठ गए। कंपनी प्रबंधन व ठेकेदारों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एसडीएम एसके पांडेय, सीएसपी अभिनव वारंगे बात करने आए। कर्मचारी कलेक्टर को बुलाने की मांग पर अड़ गए। बाद में अधिकारियों ने कंपनी प्रबंधन से चर्चा कर 7 दिन में समस्याओं के निराकरण की मांग की। इसके बाद कर्मचारी माने। 7 दिन बीतने के बाद फिर से कर्मचारियों ने कलेक्टोरेट में आकर धरना दिया। कर्मचारियों का नेतृत्व जीतू मालवीय निवासी जावरा समेत चार अन्य लोग कर रहे थे। कर्मचारियों ने 15 मांगों के निराकरण का ज्ञापन भी सौंपा था। हड़ताल करने वाले सभी ठेका कर्मचारी थे।
श्रम न्यायालय ने बताया हड़ताल को अवैधानिक-
हड़ताल को लेकर कंपनी के ठेकेदारों ने श्रम न्यायालय में हड़ताल के संबंध में अपील की। 12 जून को प्रथम दृष्टया श्रम न्यायालय ने आदेश पारित किया। जिसमें सभी अनुपस्थित श्रमिकों को कार्य पर उपस्थित होने का आदेश दिया। साथ ही उक्त हड़ताल को अवैधानिक करार दिया था।