डॉ. आर. पी. चतुर्वेदी
ईवीएम वीवीपट से देश में चुनाव करवाए जा रहे हैं। हाल ही में सेवानिवृत्त हुए मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ओपी रावत ने भी यह माना कि पूर्व में ईवीएम के मदरबोर्ड में छेड़छाड़ संभव थी। अर्थात अमेरिका ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को इसलिए अनुपयोगी बताया, कि ईवीएम में धांधली संभव है। तो फिर भारत में भी ईवीएम को सिरे से खारिज करने की महती आवश्यकता है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में ईवीएम को लेकर कई भ्रांतियां सामने आई। ऐसे में देश की तमाम राजनीतिक पार्टियों को पूरी ताकत के साथ ईवीएम के उपयोग का सामूहिक बहिष्कार करना चाहिए। अमेरिका जैसा देश ईवीएम की पद्धति चीटिंग बता रहा है। तो फिर देशवासियों के अमूल्य मतों की चिंता राजनीतिक दल क्यों नहीं कर रहे हैं? पदासीन व्यक्तित्व सदैव संविधान के दायरे में अपना वक्तव्य देता है। ऐसी स्थिति में भारतीय नेताओं को चाहिए कि, स्वस्थ लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए ईवीएम की बीमारी को देश से बाहर निकालना ही सही उपचार है। सत्ता किसी की भी हो सरकारी मशीनरी पर विपक्ष आरोप लगाया है। लेकिन कहीं-कहीं विपक्षियों के आरोपों में दम रहता है। जैसे प्रदेश के गृहमंत्री के प्रभाव वाले क्षेत्र में नियम विरुद्ध क्रियाकलापों को विपक्ष ने उजागर किया तो, कहीं-कहीं प्रशासन की भूल-चूक भी निर्वाचन प्रक्रिया पर असर छोड़ गई। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव देश के २३ वें मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा के मार्गदर्शन में होगा। क्या देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन के लिए सर्वदलीय बैठक में बैलट पेपर द्वारा मतदान करवाने के लिए देश के नेता एकमत होंगे?

