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जन अर्शीवाद यात्रा का स्वागत रतलामियों ने बड़ी ही सहृदयता से किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का रथ शहर में विलम्ब से आया। तब तक ठण्डे मौसम में शहीद चौक स्थित पाण्डाल में संगीत  के माध्यम से वातावरण को सौम्य बनाये रखा। श्रोताओं ने आर्केस्ट्रा के आनंद लिए। और देर रात तक अपने सी. एम. मामाजी

कानूनी डण्डे से नहीं, सामाजिक बंधन से होता है हृदय परिवर्तन… भारतवर्ष के अतित में झांक कर देखे तो आजादी के पहले और स्वतंत्रता के बाद ही राष्ट्र के कई-कई हिस्सों में भारतीय समाज को निर्भिक स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाये रखने की परम्परा में एक अशोभनीय पेज भी जुड़ा रहा। जिसका उल्लेख किताबों में भी आया

  घायल जनतंत्र में असहाय जनता का रहबर कोई नहीं लोकशाही में तानाशाही का घालमेल चरम पर आ गया है। यही कारण है कि भारतीय सिस्टम में कई-कई विसंगतियां पनपने लगी है। नेता अधिकारी मीडिया का गठजोड़ साफ नियत से नही बन रहा है। नैकी-बदी के इस खेल में आमजन पीसा रहा है। वर्तमान में

राजेश झाला ए.ऱजाक (सम्पादक की कलम से) ‘हम मरे तो जग मरे, हमरी मरे बलाये’! साचे गुरू के बाल को, मरे न मारो जाये’’!! हिन्दुस्तान की पावन धरा पर कई ऐसे गुरूमुखी साधक हैं, और रहे है। जिन्होंने अपने सदगुरू, पीरो मुरशीद के इल्म-विधा का मानव हित में उपयोग किया। प्रकृति के संरक्षण में सहयोग