विशेष वस्त्र वालों से देश के मतदाता हुए चौकन्ने
राजेश झाला ए. रज़ाक
श्वेत सफेद रंग को शांति का प्रतिक हिंदुस्तानी मानते हैं। धवल स्वच्छ साफ सफेद रंग का महत्व सत्य सनातन धर्म में भी बताया गया है। हिंदुस्तानी नेतृत्वकर्ता बहुतायत में अपने परिधान पहनावे के वस्त्र सफेद रंग के धारण करने में गौरवान्वित महसूस करते हैं, अर्थात मोटे रूप में सफेद कपड़े शांतिदायक सिद्ध होते आए हैं। वर्तमान में कई जननायक, नायिकाएं, नेता, नेत्री अन्य रंगो के लिबास भी धारण करते हैं, जिससे राजनीति रंग विचित्र होता जा रहा है। देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है, और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सीट से कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के पहनावे भी राजनीति रंग को प्रभावित कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर चुनाव में अपनी व्यक्तिगत टीस को सार्वजनिक कर रही है। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह नपे तुले शब्दों में मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हैं। एक तरफ मोदी भाजपा पर देश का विपक्ष आरोप लगा रहा है, कि भाजपा चुनाव में देश के शहीदों के नाम से राजनीति लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। वहीं मोदी भाजपा की प्रत्याशी प्रज्ञाजी ने राष्ट्र भक्त जांबाज अफसर सम्माननीय “हेमंत करकारे साहब” को श्राप दे दिया, कि तेरा सर्वनाश होगा, और भारत माता के बेटे “करकरे” चंद दिनों में शहीद हो गए। वैसे तो हिंदू शास्त्र से लगा कर दुनिया भर के धर्मावलंबियों की मान्यता है, कि 24 घंटे में एक बार अल्लाह, ईश्वर, गॉड जरूर साधारण मानव की बात को सच करता है, तो फिर प्रज्ञाजी तो भारत की तपोभूमि की तपस्वी है, भला उनके जीवा से निकले शब्दबाण कैसे अमंगल नहीं करते? अतीत में जाकर देखें तो चंद्रमा पर जो दाग है वह भी ऋषि के कोप का प्रमाण है, मानव देह को पत्थर की मूर्ति में तब्दील कर दिया, यह भी तपस्वी के गुस्से का प्रमाण है, कि इसके उलट हमारे अवतार पुरुषों में उत्तम मर्यादा पुरुषोत्तम है। मां सीता का शीलसा स्वभाव नारी जाति को दैदीप्यमान करती है। हिंदुस्तान में धार्मिक विडंबना यह है, कि हम अपने इष्ट के महात्म (चरित्र) को जाने बगैर ही समाजकंटको के हाथों गुमराह होने लगते हैं। जैसे भगवान श्री रामचंद्र जी के हम अनुयाई बनते हैं, दिखावा करते हैं, लेकिन भगवान की लौकिक मर्यादाओं को अंगीकार नहीं करते हैं हमने अपने इष्ट के “जयकारों” को स्वार्थ की खातिर “नारों” में तब्दील कर दिया। साध्वीजी साधारण मानव नहीं है, यह उनके पहनावे एवं बोल वचन से स्पष्ट हो गया है, शहीद करकरे साहब भी हिंदू परिवार से ही हैं। ऐसे में राष्ट्र का हिंदू परिवार तथा विशेषतः भोपाल लोकसभा सीट के हिंदू मतदाता साध्वी प्रज्ञाजी के गुस्से से डरे हुए हैं। सहमे-सहमे मतदाता दबी आवाज में विचार मंथन में लगे हुए हैं, कि अब हम अपने प्यारों को बलि का बकरा नहीं बनने देंगे। आज जो मोदी भाजपा के अनुयाई बन काम करते हैं वह प्रज्ञाजी की नजर में राष्ट्रभक्त हैं, और जो देश के संविधान का अक्षरशः पालन करवाने वाले शहीद करकरे जैसे जिम्मेदार है, वह देशद्रोह जैसे शब्दों से अपमानित होते हैं। राष्ट्र वासियों के समक्ष प्रज्ञाजी ने मोदी जी की नीतियों की कलाई खोल दी है। मतदाता जान चुके हैं, कि जो भाजपाइयों की नीतियों के अनुरूप काम ना करें उन्हें सन्यासियों विशेष वस्त्र धारण करने वालों के द्वारा श्राप दिलवाया जाता है, शहीद करकरे साहब इसका प्रमाण है। अब देश के समदृष्टि साधु, संत, पीर, फकीर, आचार्यमुनी तथा अध्यात्म की ऊंचाइयों वाले विभूतिगण प्रकृति की रक्षा के लिए दुआ अरदास प्रार्थना वंदना कर रहे हैं, कि जो भी मानव प्रकृति को हाथ में लेकर स्वार्थवश यदि किसी का अमंगल करने के लिए श्राप दे, तो भारत की तपोभूमि के योद्धा अनिष्ट कारक शक्तियों से राष्ट्रभक्त राजनेताओं के लिए शुभ मंगल करें। भोपाल लोकसभा सीट के सभी उम्मीदवारों को परमपिता परमेश्वर दीर्घायु एवं परिवारजनों तथा सभी के समर्थकों का शुभ करें। प्रज्ञाजी यदि संकल्प करती तो मोदी जी वैसे ही राज्य सभा में सांसद बना देते। अब जनपंचो के बीच प्रकृति इंसाफ करेगी तो, एक बार फिर सत्य सनातन के जयकारे ऊर्जावान होंगे। क्योंकि अहंकार रावण बली का भी नहीं रहा।

