नेताओं के बयान से देवता आ रहे आरक्षण की जद में
प्रकाश तंवर|
हिंदुस्तान के हिंदुस्तानी देवता है। तभी तो सदा इसी बात पर अटल रहते हैं, कि ‘‘जात न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान’’! लेकिन लोकतंत्र की विकृत राजनीति अपना दायरा देश में बढ़ाती जा रही है। अधिकांश सिरफिरे समाज कंटक अब हमारे अवतार इष्ट को भी देश के संविधान के अनुरूप देखने लगे हैं। विगत दिनों कुछ इक्का-दुक्का जो देश के जिम्मेदारों में शुमार है। उनकी हल्की मानसिकता से समूचे भारतीय आहत हुए हैं। कुछ लंपट हमारे आराध्य को अनुसूचित तबके का बता रहे हैं, तो कुछ अल्पसंख्यक वर्ग का बता रहे हैं। आखिर हजारों वर्ष पूर्व का सत्य सनातन धर्म का मुखौल उड़ाने का हक भारतीय लोकतंत्र ने कुछ चरमपंथियों को कैसे दे दिया? आज संविधान की कई खामियों को खूबियों में बदलने के लिए जनप्रतिनिधियों को संसद में आवाज बुलंद करने की आवश्यकता है। वर्तमान में संविधान में संशोधन की जरूरत है। तभी जनतंत्र की कमजोर कड़ियों को मजबूत बनाया जा सकता है। अन्यथा कुछ मुट्ठीभर लोग देश की एकता अखंडता पर प्रहार करते रहेंगे, और हम भारतवासी जानकर भी अन्याय को सहते रहेंगे। जिसका परिणाम घातक होगा। आज देश आर्थिक गुलामी में जकड़ा गया है। देश का धन नीरव मोदी जैसे लोग विदेशों में ले उड़े, और हम देशवासी अच्छे दिन की आस में नेताओं के हाथों ठगाते जा रहे हैं। ‘सबका मालिक एक’ शिर्डी के साईं बाबा की जाति धर्म के नाम पर देश में कई दौर की चर्चाएं हुई। अब हमारे अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त आराध्य देव पवनपुत्र श्री हनुमान बाबा के संदर्भ में देश में अनर्गल वाद विवाद चल रहा है। कुछ विघ्नसंतोषी केसरीनंदन मां अंजनी के जाये हनुमान जी को भारतीय संविधान में बांधने का अशोभनीय कृत्य कर रहे हैं। जिससे दुनिया भर के मानव समाज में भारतीय राजनीति को स्तरहीन बताया जा रहा है। यदि इस प्रकार की देश में विकृतिया पनपने लगेंगी, तो सत्य सनातन धर्म क्रमश: कमजोर पड़ जाएगा। तथा मानव को आध्यात्मिक मार्ग में कई-कई दिकत्ते आएंगी और हम एकदिन भारतीय तपोभूमि के तेज से वंचित रह जाएंगे।

