रतलाम| राजेश झाला ए. रज़्ज़ाक
वर्तमान के आरक्षण के मुद्दे ने फिर से देश के पूर्व पीएम स्वर्गीय वीपी सिंह के जमाने में लाकर खड़ा कर दिया| मंडल की सिफारिशों से उस वक्त भी देश में आगजनी, जन-धन हानि हुई थी| अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध केंद्र की मोदी सरकार ने एट्रोसिटी एक्ट को यथावत रखने के लिए अध्यादेश जारी कर दिया| जिसमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मार्च 2018 में जो फोरेरूप से सामान्यजनों को सैद्धांतिक सहूलियत दी गई थी| जैसे बिना जांच किए FIR ना हो आदि | लेकिन भाजपा सरकार ने न्यायपालिका के निर्णय को संसद में बहुमत के आधार पर उलट दिया|


विगत दिवस मध्य प्रदेश चुनाव समन्वय समिति के अध्यक्ष राजा दिग्विजय सिंह ने रतलाम जिले के कांग्रेसी नेताओं में समन्वय बनाने का प्रयास किया, जिसमें प्रथम चरण में ही नेताओं का अहम आड़े आया| लेकिन सूत्र बताते हैं कि अंततोगत्वा दिग्गी राजा रतलामी नेताओं से आश्वस्त होकर गए हैं| जिसका परिणाम कार्यकर्ताओं की एकता के रूप में दिखाई देगा| सवाल यह नहीं है कि, दिग्गी राजा के समर्थक पूरे प्रदेश में है, और वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस में ऊर्जा फूकने के लिए तत्पर है! बल्कि सवाल यह है कि, कांग्रेस देश की आजादी के पूर्व की पार्टी है, तथा देशवासी कांग्रेसी विचारधारा के आज भी कायल हैं| ऐसे में शीर्षनेताओं को सिर्फ कांग्रेसी कार्यकर्ता एवं उनके नेताओं तक की समन्वय नहीं बैठाना है, बल्कि कांग्रेसजन की क्या भावना है? इस महत्वपूर्ण विषय पर नेतृत्व कर्ताओं को सूक्ष्मता से विचार मंथन करने की आवश्यकता है| क्योंकि देश, प्रदेश, गांव, नगर में मतदान कांग्रेसजन करता है, ऐसे में यदि कांग्रेसजनों की रायशुमारी को तरजीह दी जाती है तो, निश्चित रुप से प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता पाने से कोई नहीं रोक सकता है| कांग्रेस के साथ पिछले कई वर्षों से यह दुर्भाग्य जुड़ गया है कि, बड़े नेता अपने चहेते को टिकट दिलवाने के चक्कर में कांग्रेसजन की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते आए हैं| बस उसी का परिणाम है कि देश प्रदेश में कांग्रेसी विचारधारा वाले बहुतायत होने के बावजूद भी कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ता है| हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारों ने पहले की, की गई भूल से सबक लेते हुए समन्वय समिति को शक्तिशाली बनाया है| ताकि कर्मठ कांग्रेसी योग्य प्रत्याशी को ही मैदान में उतारा जाए| दिग्गी राजा की रतलाम जिले के नेताओं के साथ हुई बैठक से आम कांग्रेसियों के मन में उत्साह है| प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों का जवाब दिग्गी ने बड़ी चतुराई से दिया, उन्होंने “एससी एसटी एक्ट पर कहा- हमने हटाने का वादा नहीं किया और ना ही एक्ट बदलने के नाम पर वोट मांगे”! दिग्गी के इस इशारे को देशवासी जानते हैं|