आदिवासियों के अधिकार के लिए जयस ने भरी हुंकार, बिगड़ सकते हैं रतलाम के राजनैतिक समीकरण

रतलाम | प्रकाश तंवर 
29 जुलाई को मध्य प्रदेश की 47 आदिवासी विधान सभाओ में मतदाताओ को जागरूक करने और उनके अधिकारो को याद दिलाने के उद्देश्य से आदिवासी अधिकार यात्रा की शुरुवात रतलाम ग्रामीण विधानसभा के सातरुंडा चौराहा से होने जा रही हे जिसमे गोंडवाना के राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री हीरासिंह मरकाम जयस के राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ हिरा अलावा नई दिल्ली से आदिवासी दुनिया के प्रधान संपादक श्री मुक्ति तिर्की (झारखंड) रतलाम जयस संरक्षक डॉ अभय ओहरी राजस्थान के श्री रूपचंद रावत की उपस्थिति में प्रातः 9 बजे से रैली का शुभारम्भ होगा जिसमे कई जिलो के कार्यकर्त्ता बिरमावल होते हुवे मुंदड़ी पहुचेंगे जहाँ 12 बजे आमसभा होगी |  रैली का संचालन जयस के अध्यक्ष विजय निनामा तथा नेतृत्व लक्ष्मण कटारा, राकेश ओहरी, बाला मोरी, विक्रम सोलंकी, श्याम गिरवाल, शैतान सिंह गरवाल, कमल देवड़ा, राहुल देवड़ा, जालम सिंह, हेमन्त डामोर, कालू बारोड़, राकेश सोलंकी सहित कई कार्यकर्त्ता करेंगे| जामथून में भोजन पश्चात् यात्रा 3 बजे सैलाना विधान सभा में प्रवेश करेगी, यह जानकारी यात्रा प्रभारी श्याम मईड़ा द्वारा दी गई |
 इनका कहना है-
वर्षो से देश में सरकारों ने आदिवासियों की वास्तविकता जायज मांगों के प्रति उदासीनता दिखाई सीधे एवं भोले-भाले आदिवासी मतदाताओं के मतों से सत्ता हासिल करने वाले सत्तासीनों ने अपेक्षाकृत बहुत कम आदिवासियों को लाभ पहुंचाया। आज तक आदिवासियों का दोहन ही होता आ रहा है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ‘जयस’ को आगे आना पड़ रहा है। ताकि देश एवं प्रदेश में आदिवासी समाज को जागरूक कर सके। म.प्र की  47 आदिवासी विधानसभा में मतदाताओं को जागृत करने के लिए आदिवासी अधिकार रैली निकालकर समाज को सुसंगठित कर, आदिवासी अधिकार के लिए साहसिक कदम उठाया जा रहा है।

डॉ. अभय ओहरी
संरक्षक ‘जयस’
रतलाम

jayas

यह आदिवासी अधिकार  की प्रमुख मांगे-
1. 5 वीं अनुसूची के सभी प्रावधानों को सख्ती से अविलम्ब लागू किया जाए।
2. पैसा कानून के सभी प्रावधानों को भी अनुसूचित क्षेत्रों में लागू किया जाए।
3. वन अधिकार कानून 2006 के सभी प्रावधानों को धरातल पर लागू कर जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को स्थाई पट्टा दिया जाए।
4. ट्राइबल सब प्लान के करोड़ो रूपये अनुसूचित क्षैत्रों में मौजूद समस्याएं जैसे- भुखमरी, गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी को दूर करने एवं शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च किया जाये।
5. आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और भाषाओं को संरक्षित करने के लिए प्रत्येक राज्य के सभी ट्राइबल ब्लाकों में आदिवासी संग्रालय खोले जाएं।
6. सभी ग्रामीण अनुसूचित क्षेत्रों के प्रत्येक गांव में कम-से-कम दस तालाबों का निर्माण कर पानी संग्रहण द्वारा आदिवासी किसानों को मछली पालन की सुविधा दी जाए।
7. अनुसूचित क्षैत्रों के जंगल, खनिज संपदा, बांध परियोजना, वन अभ्यारण्य एवं पर्यटन स्थलों की आमदनी में उस क्षैत्र के आदिवासियों की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए।
8. अ. क्षेत्रों में वन अभ्यारण्य, बांध परियोजना, औद्योगिकरण में विस्थापित हो चुके आदिवासियों के पुनर्वास, सुरक्षा, उचित मुआवजा के साथ प्रस्तावित विस्थापन प्रक्रियाओं को निरस्त किया जाए।
9. संविधान के प्रावधान के अनुसार 5 वीं अनुसूचित राज्यों में जनजातीय सलाहकार परिषद (TAC) का मुखिया/अध्यक्ष और राज्य के राज्यपाल पद पर आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की ही नियुक्ति हों।
10. 5 वीं अनुसूचित क्षेत्रों में भी 6 ठीं अनु. क्षेत्रों के भांति स्वशासी जिले, स्वशासी तहसीलें, स्वशासी ब्लाक बनाये जाएं।
11. संविधान की 5 वीं अनु. क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि कॉलेज की स्थापना के साथ-साथ सभी    ट्राइबल ब्लाकों में तीरंदाजी प्रतियोगिता के प्रशिक्षण केन्द्र खोेले जाएं।
12. आदिवासी वित्त विकास निगम को सशक्त किया जाए तथा प्रतिवर्ष एक निश्चित कोश उपलब्ध कराया जाए, जिसमें आदिवासी कृषको-मजदूरों को ऋण उपलब्ध किया जाए।
13. बेरोजगार युवाओं को 03 माह के अंदर नौकरी दी जाए एवं बैकलॉग पदों पर अतिशीघ्र भर्ती की जाए तथा शासकीय नौकरी की वेवैंâसी के लिए निःशुल्क फार्म भरने की व्यवस्था की जाए।
14. प्रदेश के सभी क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों को शासन द्वारा निर्धारित मजदूरी दर उपलब्ध कराई जाए।
15. प्रदेश के सभी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण हेतु प्रदेश सरकार दो महीने के अंदर नई नियमावली जारी करे।

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