रतलाम | नगेन्द्र सिंह झाला
सियासतबाजी में ‘दुश्मन का दुश्मन, दोस्त होता है’ उक्त उक्ति राजनीति में यदा-कदा देखने व पढ़ने को मिलती है। पूर्व गृहमंत्री को निर्दलिय उम्मीद्वार के माध्यम से आम मतदाताओं ने हराया था। ना कि किसी पार्टी विशेष या किसी व्यक्ति विशेष ने हराया। जबकि येन-केन प्रकारेण जीत हासिल करने के सम्बंध में तात्कालिन जननेता ने न्यायालय की शरण ली थी। और चुनाव आते-आते सफलता भी मिली। तब से ही निर्दलिय के आगे से ‘पूर्व विधायक’ का तमगा हट गया। अब केवल ‘पूर्व महापौर’ के पद का ही गुणगानकिया जाता है। तात्कालिन केन्द्र की यू.पी.ए (कांग्रेस) की मनमोहन सरकार से क्षैत्र के लड़ाक कर्मठ सांसद कान्तीलाल भूरिया ने रतलाम मेडिकल कॉलेज के लिएा 200 करोड़ रूपए दिलवाये। विंâतु वर्तमान में मेडिकल कॉलेज का श्रेय केवल भाजपा ही ले रही है। आमजन औन उनके जनप्रतिनिधि क्षैत्रिय सांसद भूरिया तथा भाजपा के हासिये पर खड़े नेताओं के प्रयासों को अनदेखा किया जा रहा है। लेकिन जनता सब जानती है। कांग्रेस को आमजन में वास्तविकता को बताने की आवश्यकता है। वर्ना कुछ भाजपाई जैसे स्वयं के अपने पार्टी वालों को हासिये पर ला दिया है, वैसे ही कांग्रेस को पटकनी दे देंगे। कांग्रेस की युवा विंग को आगे आने की आवश्यकता है।

