रतलाम | नगेन्द्र सिंह झाला
केन्द्र की मोदी सरकार आर.टी.आई (सूचना का अधिकार) एक्ट 2005 के कानून में परिवर्तन करने का प्रयास कर रही है। क्योंकि केन्द्र सरकार मुख्य सुचना आयुक्त (सी.आई.सी) को मुख्य चुनाव आयुक्त से कमतर मानती है। स्मरण रहे देश में भाजपाईयों एवं इनसे सम्बंधितों ने ही ‘सूचना का अधिकार’ अधिनियम 2005 का पूर्ण उपयोग कर, देश-प्रदेश के कई घोटाले-महाघोटाले उजागर करवाये। तो फिर अब जबकि केन्द्र व राज्यों में भाजपा सरकार हैं तो इस कानून के अंतर्गत आने वाले सूचना आयुक्त की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए आर.टी.आई (संसोधन) बिल 2018 को संसद में लाने के पीछे मोदी जा का क्या पेच हैं…? देशवासी जान गये है, कि मोदी सरकार के कार्यकाल में दबे, कई ऐसे कारनामे है। जिससे लोकसभा चुनाव एवं देश में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव में सत्ताधीशों की करतूतों का चिट्ठा आमजन में उजागर न हो जाये। इस डर से आर.टी.आई एक्ट में संसोधन भारतवासियों के साथ धोका है। यदि मोदी सरकार ने आर.टी.आई 2018 पारित किया, तो सीधे-सीधे सुचना आयुक्त पर सरकार का अंकुश लग जायेगा।
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