रतलाम। नगेन्द्र सिंह झाला
‘‘अति रूपेण सीता, अतिगर्भेण रावणा,


अति बालि बलीवर्धो, अति सर्वत्र वर्जयात’’
अर्थात् जहां ‘अति’ शब्द लग जाता हैं, वहां प्रत्येक परिस्थितियां जटील होने लगती है। इंसान अति उत्साह में नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों प्रकार का माहौल बनाने की कला का शिल्पी होता है। सी.एम. जन आर्शीवाद यात्रा, से अति उत्साह में दिखाई दिये। प्रेस वार्ता में इशारों-इशारों में राजा-महाराजा पर तंज कसते रहे। दिग्विजय सिंह सरकार, की खामीयों को उजागर कर, मामा ने अपनी खुबीया गिनाई। उत्साह का वेग इतना था कि सी.एम. बोले की टोना-टोटको से कुछ नहीं होता, जो वर्तमान में कांग्रेसी कर रहे है। महा शिवलिंग को चिट्ठी लिखने से काम नहीं चलेगा, क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही दातारी होती है, जिसके ‘मत’ के ‘दान’ से जनप्रतिनिधि बनते है। उत्साहित मामा ने कहा कि जनता के बीच आकर उनका दुःख दर्द बांटो। आम लोगों के बीच काम करो इस प्रकार शिवराज सिंह ने उपरोक्त दो सूत्र कांग्रेसीयों को अतिउत्साह में गिफ्ट कर दिये। यदि कांग्रेसी मामाजी के पद चिन्हों पर चल पड़े और भाजपा की अंतर कलह को भूनवालिया, तो शिव द्वारा बताये गये राज से स्वयं शिवराज सहित भाजपा को दोगुना संघर्ष करना पड़ सकता है।