रतलाम | डॉ. सय्यद अनवर अली
नगर के पटरीपार जवाहर नगर श्रमिक क्षैत्र के मकानों के कुछ विशेष ‘धंधा व्यवसायी’ धड़ल्ले से लाखों रूपयों में खरीद रहे है। स्मरण रहे स्थानिय हलवाई का कार्य करने वालों को वर्षों हो गए कमाते हुए विंंâतु बड़ी मुश्किलों से रहने के लिए अपना छोटा-मोटा आशियाना नगर के किसी गली-गुच्चे में खरीद पाये है। वही बाहरी लोग जो इसी धंधे से सम्बंध रखते हैं, जवाहर नगर क्षैत्र में अनाप-शनाप लाखों रूपयों में मजदूरों को बहला पुâसलाकर मध्यप्रदेश ग्रह निर्माण अधोसंरचना से अपने नाम रजिस्ट्री करवा हे है। जबकि हाऊसिंग बोर्ड गैर मजदूर को रजिस्ट्री नामान्तरण नहीं कर सकता। नियम यह हैं, कि यदि मजदूर मकान में नहीं रहना चाहे, तो वह हाऊसिंग बोर्ड को चाबी सौंप सकता है। ताकि अन्य जरूरतमंद श्रमिक को मकान अलॉट किया जा सवेंâ। स्मरण रहे पिछले वर्ष गृह निर्माण मण्डल के अधिकारी एवं कर्मचारी कुट रचित दस्तावेज और मकानों की हेरापेâरी के आरोप में हवालात की हवा खा चुके है। फिर भी हाऊसिंग बोर्ड के जिम्मेदार नियमों
को अनदेखा कर श्रमिकों के मकान अन्य के नाम कर रहे है। मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए कई योजनाएं चला रही है, वही रतलाम में श्रमिकों के घर-बार बिकवाने में बिचौलिए कलेक्टर ऑफीस तक अपनी सेटिंग में लगे है। क्या पिछले ०५ वर्षों में जिन लोगों ने जवाहरनगर के मकान खरीदे हैं उनकी आय की वास्तविकता को सम्बंधित विभागा जांचेगा..? आखिर लाखों रूपये कुछ तथाकथित कहां से लाये ये जांच का विषय हैं….

