रतलाम|
चेतन्य काश्यप फाउण्डेशन के मार्फ़त बैघरबारों को मिला रहने के लिए अपना आशियाना। शहर में झुग्गीझोपड़ी में रहने वालों के पट्टे बैंक में बंधक पड़े थें। और क्षैत्रवासी शासकीय योजना से वंचित हो रहे थे। ऐसे में श्रीमती तेजकुंवर बाई काश्यप ने आम गरीबों की परेशानी से द्रवित होकर, गरीबों को आवास निर्माण के लिए सहयोग के उद्देश्य से 7.5 करोड़ रूपये का कोष बनाया। तथा अर्जुन नगर, बजरंग नगर के असहायों के आंसु श्रीमती तेजकुंवर बाई ने पोछे। अर्थात् झुग्गीवासियों के बैंको में बंधक पड़े पट्टे को ‘चेतन्य काश्यप फाउण्डेशन’ ने छुड़वाये। सनातन, ईस्लाम, जैन, सहित दुनियाभर के धर्म में मानव सेवा को ही सर्वोपरि बताया गया है। इसी तारतम्य में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री चेतन्य काश्यप की मातुश्री तेजकुंवर बाई ने जरूरतमंदो की मदद कर मां की ममता का एहसास करवाया। क्षैत्रवासियों की धर्म की मां है तेजकुंवर बाई काश्यप, जिन्होंने नगर की गरीब जनता को भी अपार स्नेह दिया। रहने के लिए मकानों की व्यवस्था करवाई। इस कड़ी में मातुश्री तेजकुंवर बाई के सुपूत्र एवं नगर विधायक चेतन काश्यप भी आमजन की भावना के अनुरूप जनसेवा में लगे हुए है। विधायक काश्यप सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए गम्भीर है, संवेदनशील है। श्री काश्यप जरूरतमंदो, हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। स्मरण रहे नगर विधायक काश्यप आंगनवाड़ियों के माध्यम से भी अपने सेवा प्रकल्प कोे मूर्तरूप दे रहे है। तथा कुपोषित बच्चों को पोष्टिक आहार उपलब्ध करवा रहे है। ताकि आने वाली भावी पीढ़ी स्वस्थ्य रहे, और देश-समाज की जिम्मेदारी में अपना नैतिक दायित्व निभाये। रतलाम का अहिंसाग्राम देश के मॉडल साबित हुआ है। प्रदेश में विधायक चेतन काश्यप का अपना अलग राजनैतिक व्यक्तित्व है। जिसमें धर्मसेवा, समाजसेवा, का पुट स्पष्ट दिखाई देता है। वर्तमान में देश के सभी राजनैतिक दलों के नेताद्वय को सेवा के लिए राजनीति बल का उपयोग करना चाहिये तभी भारतीय समाज शुद्ध रूप से संस्कारवान एवं सुदृढ़ होगा। रतलाम में विधायक जी के मातुश्री ने जिन हितग्राहियों के पट्टे बैंक में रूपए जमाकर छुड़वाये है। उन्हीं हितग्राहियों को विधायक चेतन काश्यप ने ढ़ाई-ढ़ाई लाख दिलवाकर गरीबों का जीवन स्तर सुधारने में योगदान दिया। भारतीय समाज में सेवाभावी जनप्रतिनिधियों की बहुतायत में आवश्यकता है।

