प्रकाश तंवर की कलम से
देश के प्रथम पी.एम है श्री मोदी जो कबीरदास की मजार पर मथ्था टेकने पहुंचे। मोदी जी ने कबीर वाणी की पंक्ति ‘काल करे सो आज कर….’ केो प्रभावी ढंग से मोदी सरकार की दिनचार्य में उतारने का खुलासा किया। इस पर लोकतंत्र के प्रहरियों ने भी कबीरदास के अंदाज में ही जवाब सवाल कर डाले, किसी ने कहा मोदी जी ने क्या इसीलिए तत्काल नोटबंदी की। किसी ने कहा जी.एस.टी की विसंगतियों को दूर कर किये बिना ही जी.एस.टी प्रभावी ढंग से लागू कर दी। किसी ने कहा तत्काल आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए ही भाजपा±पी.डी.पी गठबंधन हुआ। इसी बीच एक सामान्य नागरिक ने चुटकी लेते हुए कहा कि ‘बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताये…’ मूल्कवासी देश के कर्णधारों से विनम्रता पूर्वक ‘मन की बात’ कहना चाहते हैं कि आखिर कब तक सियासती राजनीति में हिन्दुस्तानीयों के ‘मत’ की आहूती लेने के बाद भी कब मिलेगा अच्छे दिन का फल..? देश में साम्प्रदायिक सदभाव, सर्वधर्म सदभाव के वृक्ष कब हरे भरे करेंगे, हमार नैतृत्वकर्ता… ?

