नई दिल्ली।
आज बात-बात पर राई का पहाड़ बनाया जाता है। अर्थात नपी-तुली जुबान में कोई भी बोलने को तैयार नहीं है छोटी सी घटना को कुछ सिरफिरे आधुनिक संसाधनों के जरिए दूर-दूर तक बात का बतंगड़ बनाने में पीछे नहीं रहते हैं। देश में व्याप्त कुछ समाजकंटक ओ का ताना-बाना इस प्रकार का बना हुआ है कि देखते ही देखते किसी भी क्षेत्र में किसी भी विषय को लेकर हिंसा एवं तनाव पूर्ण वातावरण बनाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। देश प्रदेश की सरकारें नियम कानून की नसीहतें देने लगती है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यपालिका को स्पष्ट रूप से हिदायत दी है कि कोई भी व्यक्ति संस्था या समूह भीड़ प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ करें, तो कोर्ट उपरोक्त कृत्य पर तत्काल दिशानिर्देश जारी करेगा। कोर्ट कानून में बदलाव का इंतजार नहीं करेगा । स्मरण रहे एक याचिका पर सुनवाई के तहत कोर्ट ने टिप्पणी की है कि देश में आए दिन हिंसक प्रदर्शन तोड़फोड़ होती है। कुछ कावड़िए दिल्ली में गाड़ी पलट रहे हैं। पद्मावती फिल्म की रिलीज के दौरान एक समूह ने खुलेआम अभिनेत्री की नाक काटने की धमकी दी। मराठा आरक्षण आंदोलन एससी-एसटी के भारत बंद आदि कई प्रदर्शन में हुई हिंसा के दृष्टिगत सुप्रीम कोर्ट सख्त हुई है।

