रतलाम| इंगित सिंह झाला
शहर के पटरीपार क्षैत्र को ‘‘नया रतलाम’’ भी कहा जाता है। सैलाना बस स्टेण्ड से चेतक ब्रीज उतरते ही सन् 1977-78 के समय के राम मंदिर की भव्य छवि जनमानस को दिखाई देती है। क्षैत्रवासी बहुतायत में श्रीराम जानकी, राधाकृष्ण, लक्ष्मीनारायण के दर्शन करने आते है। और सन् 1988 का वह पावन वर्ष था, जब श्रीराम नवयुवक मण्डल का गठन वर्तमान के पार्षद श्री गिरधारीलाल ऊर्पâ पप्पू पुरोहित के नैतृत्व में किया गया। और प्रातःकालिन गरबों का शुभारम्भ किया गया। मण्डल के संरक्षक श्री बजरंग पुरोहित जी सन् 70 के दशक से ही श्रमिक क्षैत्र में रचनात्मक, सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियां करते रहे तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में सक्रिय योगदान देते रहे। ‘‘नये रतलाम’’ के लिए समय-समय पर शासन-प्रशासन का ध्यान आकर्षित करते रहे। वर्तमान में जो हनुमान ताल की भव्यता दिखाई दे रही हैं उसमें कई-कई नेता, नैत्री, राजनेता, समाजसेवियों में श्री बजरंग पुरोहित का नाम भी जुड़ा हुआ है। समय ने करवट ली और राम मंदिर पर जो प्रातःकालिन गरबे होते थे। वह राात्रिकालिन होने लगे। और देखते ही देखते यह गरबे क्षैत्र ही नहीं अपितु सम्पूर्ण रतलाम में प्रचलित तथा प्रतिष्ठीत हो गये। इसी के चलते मण्डल द्वारा इस वर्ष राम मंदिर पर 30 वां नवरात्रि महोत्सव मनाया जा रहा है। इसमें गरबा खेलने वाली साधिकाओं को प्रतिदिन आकर्षक उपहार दिये जा रहे है। तथा अंतिम दिवस सम्पूर्ण गरबों के दौरान श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को ‘‘टॉप फिफ्टी’’ पुरस्कार दिए जाएंगे जिसमें एल.ई.डी टी.वी., वाशिंग मशीन, ड्रेसिंग टेबल, इलेक्ट्रॉनिक गीजर सहित समस्त गरबा खेलने वाली साधिकाओं को प्रोत्साहन पुरस्कार दिये जायेंगे। कार्यक्रम में बढ़ोतरी करते हुए क्षैत्रवासियों को सौगात देते हुए तथा हनुमान ताल को ऐतिहासिक एवं यादगार बनाते हुए श्रीराम नवयुवक मण्डल द्वारा सन् 2011 से निरंतर ही रावण दहन का कार्यक्रम हनुमान ताल पर किया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत विजयदशमी के अवसर पर श्रीराम मंदिर से मनमोहक झांकी के रूप में श्रीराम, लक्ष्मण तथा वानर सेना रावण दहन के लिए क्षैत्र के विभिन्न मार्गो से होते हुए हनुमान ताल पर पहुंचती है यहां पर शिव ताण्डव नृत्य, राधाकिशन नृत्य एवं अघोरी नृत्य के साथ ही आकर्षक और भव्य आतिशबाजी के साथ रावण दहन किया जाता है। सम्पूर्ण आयोजन में श्रीराम नवयुवक मण्डल के सभी सदस्यों का सराहनीय योगदान रहता है।

