राम के देश में रावण का किरदार कौन निभा रहा…

डॉ आर पी चतुर्वेदी की कलम से
ऐग्नेश गौंग्शे बोयाक्षियू (मदर टेरेसा) ने भी सन् 1960 के दशक में पोप पॉल द्वारा जो कार उपहार में दी गई उसको नीलाम कर भारत के दिनहीन जरूरतमंदों के लिए पैसे जुटाकर गरीबों में लगा दिये। उनका अनुशरण दुनिया के कई जिम्मेदार कर रहे है। कुछ राष्ट्र फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के लिए अपने मंत्रीमण्डल के खर्चों को कम करने में लगे है। संसाधनों में कटौती कर रहे है। भारत देश सहित देशवासी भी सहिष्णु है। प्रत्येक नागरिक गम्भीर एवं सहनशील है। तथा अपना जीवन सार्थक करने के लिए भोलेपन में कई कार्य देशवासी, अपने ईष्ट, अवतार, भगवान, सदगुरू, अल्लाह-ईश्वर पर छोड़ देते है। बस यही से कुछ राहू-केतू हिन्दुस्तान के देवता समान हिन्दुओं को भावनात्मक रूप से ठगने में अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा लगा देते है। हम अपने पुत्र का नाम ‘राम’ इसलिए रखते है कि उससे हमारे आराध्यदेव के संंस्कार स्थापित हो। क्योंकि ‘राम’ का शब्दिक अर्थ है ‘ब्रह्मशक्ति’ और सनातन धर्म के अवतार का नाम भी ‘राम’ शब्द से प्रलयकाल तक जाना जायेगा। जो शील स्वभाव, मर्यादा एवं पुरूषों में उत्तम है। ऐसे मर्यादा पुरूषोत्मक श्रीराम भगवान के चरित्र को धारण करने के लिए माता-पिता अपने पुत्र का नाम ‘राम’ रखते है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हम अपने आरध्य देव श्री रामचन्द्र भगवान की मर्यादाओं का ना तो पालन करते है और ना ही उनके रामचरित्र मानस कोे जीवन में उतारते है। हम कुछ मुट्ठीभर समाजकण्टक के बहकावे में आई सत्ता के चाटूकार मीड़िया के भ्रामक समाचार के वशीभूत होकर, अपनी खामियों पर समीक्षा नहीं करते। बल्कि पड़ोसी दुश्मन देश की गतिविधियों पर अतिश्योक्ति पूर्ण उच्ट्टहास करने में लगे है। स्मरण रहे पड़ोसी पाकिस्तान ने उसके देश में ७० चार पहीया वाहन नीलाम किये तो भारत में कुछ चैनलों एवं मीडिया में ऐसी खुशी जाहिर की जा रही हैं, कि भारत ने कोई बड़े काम को अंजाम दिया हो। पाक की वंâगाल अर्थव्यवस्था पर हम हंसने लगे है। खुशी मनाने लगे है। जरा विचार करो, हमारे देश को वंâकाल एवं वंâगाल करने में नीरव मोदी जैसे देश का करोड़ो हजार रूपया लूटकर ले उड़ा। उस पर हमारी और हमारे देश की हंसी पूरी दुनिया कर रही है। आज इस राम के देश में रावण के चरित्र वालों की संख्या बहुतायत में बढ़ रही है जिस पर हमें विराम लगाना है।

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