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रानैतिक दाव पैच के चलते ठगा रही आमजनता…

सम्पादकीय

सम्पादकीय…

भारत में जब-जब चुनाव का मौसम आता है सभी राजनैतिक दल अपने पैतरों से सत्ता पर काबिज होने के लिए तरह-तरह
के दांव अजमाने लगते है। पिछली बार भी जब लोकसभा के चुनाव होना थे इसके पूर्व काश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली  धारा 370 को खत्म करने का खूब जोर-शोर से प्रचार हुआ था तथा भारत में पूर्ववर्ती सरकार के अनन्त घोटालों पर भी खूब बयानबाजी की गई। यहां तक कि विदेशों में जब कालाधन वापस लाने के तथा लोगों के खातों में 15 लाख जमा करने के  सपने दिखाए गए। परंतु चुनाव होते ही सभा पर काबिज होते ही किए गए अनेक वादे और अच्छे दिन के दिखाए गए सपने हवा में उड़ गए। इतना ही नहीं काश्मीर में पी.डी.पी की मुखिया महबूबा  मुफ्ती के साथ भाजपा सरकार बनाने को भी तैयार हो गई। सभी अच्छी तरह जानते हैं कि काश्मीर की राजनैतिक पार्टी पी.डी.पी का पाकिस्तान के प्रति झुकाव हैं तथा पहले भी पी.डी.पी का पाकिस्तान के प्रति झुकाव है तथा पहले भी पी.डी.पी तथा कांग्रेस पार्टी के गठजोड़ से काश्मीर में सरकार बनी थी परंतु दोनो पार्टियों में आपस में तनातनी बनी रही। इतना सब होते हुए भी भाजपा ने पी.डी.पी के साथ गठजोड़ किया तथा सत्ता में शामिल होने के लिए महबूबा मुफ्ती की जायज-नाजायज सभी मांगों को माना। यहां तक कि सेना पर पत्थरबाजी करने वाले 10 हजार से अधिक पत्थरबाजों के मुकदमें हटा लिए गए। यहां तक कि रमजान के महीने में  हबूबा मुफ्ती के कहने भाजपा ने पत्थरबाजों और आतंक फैलाने वालों पर कोई कार्यवाही न करने तथा संघर्ष विराम प्रस्ताव भी मान लिया जबकि पवित्र रमजान के महीने का लाभ उठाकर पत्थरबाजों और आतंकियों ने पुलिस तथा सेना और आम जनता को निशाना बनाकर निर्दोष लोगों की हत्याएं की। अंततः भाजपा ने मेहबूबा मुफ्ती की पी.डी.पी से समर्थन वापस ले लिया तो सत्ता से दूर बैठी सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस और उनके बडे-बड़े नेता सेना के विरोध में बोल रहे हैं और अप्रत्यक्ष रूप से आतंकियों तथा पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं जो सबसे दुखद बात है। इतना ही नहीं परस्पर विरोधी विचारधारा वाली तथा एक दुसरे की कट्टर शत्रु रही विभिन्न विपक्षी पार्टियां भी सत्ता के सामूहिक लालच में अपने व्यक्तिगत लोभ लालच को छोड़कर भाजपा को हराने के लिए एकजुट होने की कोशिश में लगी हुई हैं तो भाजपा भी सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस को गिराने में लगी हुई हैं और उनकी पार्टी के स्वनामघन्य नेता आए दिन राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को उछाल रहे है। भाजपा पर वन मेन शो तथा टू मेन आर्मी होने के भी जुमले उछाले जा रहे हैं तथा जनता सबका मजा ले रही है। वैसे भी पिछले लोकसभा चुनाव के बाद जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें भाजपा के कुल मिलाकर लगभग एक  करोड़ वोट कम हो चुके हैं इसलिए भाजपा को भी संभलने की जरूरत हैं तथा ठोस रणनीति तथा व्यवहारिक बातों के  धार पर ही अब जनता सबको परखने वाली है इसलिए किसी भी पार्टी द्वारा दिखाए जाने वाले झूठे बहकावों में जनता नहीं आने वाली। अतएव सभी पार्टियों को अभी से सावधान होकर जनता के हित की बात करना होगी तब ही कामयाबी की उम्मीद की जा सकती है।

राजेश झाला ए.ऱजाक

 

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