प्रकाश तंवर
अपराधियों की कोई जात-पात नहीं होती है, और ना ही कोई ईमान धर्म होता है। लेकिन भीड़तंत्र के पीछे का दिमाग, हमेशा अलगाववादियों का होता है। जो हमारी राष्ट्रीय एकता-सामाजिक गठजोड़ को कमजोर करने में लगा है। देश में सामाजिक विकृतियों को बढ़ावा देने वाले, भारतीय समाज के ही असामाजिक तत्व है। जिन्हे देश के कानून से खिलवाड़ करने में मजा आ रहा है। ऐसे में देशवासियों को एकजुट होकर कानून को हाथ में लेने वाले तत्वों से साहसिक मुकाबला करना है। तथा जो दिशाहीन हो रहे हैं उन्हें दौबारा राह पर लाने की चुनौती समाजजन को स्वीकार करने की आवश्यकता है। तब ही हम मॉबलिंचिंग के विरूद्ध लडाई जीत पायेंगे। देश में जो अपने आपको बुद्धिजीवी कहता है उसे अपने विवेक का इस्तेमाल कर, अपने आस-पास की गतिविधियों पर नजर रखकर, गैर कानूनी कार्यों में लिप्त तत्वों को फौरन सुरक्षा एजेंसियों (पुलिस) को सूचित कर परोक्ष प्रत्येक्ष सहयोग कर, देश को स्थिरता प्रदान करने में भागीदार बनने की आवश्यकता है। पुलिस की धवल छवि को बनाये रखने में आम नागरिक अपना नैतिक कर्तव्य का पालन करें। तभी भीड़तंत्र से निपटा जा सकता है।
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