नगेन्द्र सिंह झाला की कलम से
वर्तमान में देश में एक जुमला चल रहा हैं कि ‘हम फिट तो देश फिट’ हम फिट से आशय हैं कि ‘नेता जी फिट’ नेताजी से आशय हमारे देश के लाड़ले विख्यात नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से कदापि नही है। बल्कि वर्तमान के विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के नेताद्वैय से है। आजकल आधुनिक मशीनों पर करतब दिखाकर नेतागण अपने शारीरिक स्वस्थ्यता का प्रमाण स्वयं दे रहे है। क्योंकि उन्हे किसी अखाड़े की लाल मिट्टी मे दाव पेंच लगाकर अपने प्रतिद्वन्दी को धूल तो चटानी नहीं है। और ना ही एथेलेटिक स्पर्धा में भाग लेना है। बस स्वयं भू पहलवान का ढ़ीढोरा पीटना मात्र है। ऐसे पहलवान स्वयं किसी अस्त्र-शस्त्र को नहीं घुमाते, और ना ही कबड्डी- खो-खो खेलते, धूल-मिट्टी से कोशो दूर रहने के वाले पहलवान डनलप के गद्दों पर आराम करने वाले वातानुवूâलित कमरे में बैठकर राजनैतिक पहलवानी करते है। हां ये पहलवान कम्प्यूटर की तरह पहलवानी के सारे गुर जानते है। और अपने-अपने अनुयायियों, शिष्यों, पट्ठों से धरातलीय फीडबैक लेते रहते है। अस्त्र शस्त्र के साधक से लगाकर हर स्तर की भाषा बोली में जवाब देने वाले अनुवादक इन राजनैतिक पहलवानों के बंगले की शोभा बढ़ाते दिख जायेंगे। किसी भी विषय पर कर्वâश वाद-विवाद सोश्यलमीडिया पर करने के माहिर होते हैं ऐसे महाशय!
एक सर्वे के मुताबिक देश के लगभग 60 करोड़ लोग पानी के लिए तरस रहे है। जिन्हें पीने योग्य पानी नसीब नहीं है। मीडिया में कई बार देश के कई हिस्सों की पानी की दयनीय समस्याएं उजागर की गई। किंतु हमारे ‘फिट’ नेतागण आमजन को साफ पानी पिलाकर कब ‘फिट’ करेंगे..? देश के वर्तमान नेताजी ‘मशरूम’ खा रहे है जिसकी कीमत लाखों में है। और देश के किसान मट्टी खा रहे तथा किसानों के बच्चे रोते-बिलखते खेत की मट्टी मुंह में भर लेते है। क्योंकि उन बच्चों के परिजन अपने-अपने खेतो-खलियानों में परिश्रम, मेहनत कर रहे होते है। उन्हें अपने ‘लाल’ बच्चों की परवाह नहीं। क्योंकि वो देशवासियों के लिए अन्न अनाज की पैदावर में अपना अमूलय समय दे रहे है। वही हमारे नेताजी मशीनो का साफ पानी पी रहे है। ड्राईफ़ूड खा रहे है। तो स्वभाविक हैं कि देश के नेताजी तो ‘फिट’ रहेंगें ही!

