राजेश झाला ए.रज़्ज़ाक|
प्रजातंत्र के नाम पर देश में नेता ने स्त्रियों सहित संप्रदाय जाति धर्म वर्ण के कुछ जिम्मेदारों की जुबान बेलगाम तब हो जाती है, जब देश में चुनावी उत्सव होता है| नागरिकों की भावनाओं एवं मत के बूते पर इतराने वाले स्वयंभू बनकर असहिष्णुता का वातावरण निर्मित करते हैं| हमारी भारत भूमि “मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम” के श्रीचरणों से पवित्र है, किंतु यह कैसा पाखंड देश में पनप रहा है, कि हमारे अवतारों के जयकारों को कुछ समाजकंटक “नारों” में तब्दील कर अमर्यादित हो रहे हैं| नेता अपने भाषणों में उत्तेजित होकर धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं| यह कैसा लोकतंत्र है, कि नेता गर्म और नागरिक गमजदा है| वोट की राजनीति में जनतंत्र में चरित्रवान चुनाव हार जाता है, और कूटरचित लंपट “हार” पहनता है | जबकि मुल्क की असली मालिक तो जनता जनार्दन है जिसमें सहिष्णुता है राष्ट्रीयता है नैतिकता है अवधेश प्रदेश की धीर गंभीर जनता को इंसाफ करना पड़ेगा वरना विवेकानंद के आदर्शों का भी राजनीतिक बहरूपिये, रुपए के दम पर दम घोट देंगे| आज देश के समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री को भारतीय समाज के भूगोल-इतिहास को यथावत रखने के लिए बुद्धिजीवियों एवं युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करने की आवश्यकता है| तभी देश का राजनीतिक गणित सुधर पायेगा| देश में कट्टरपंथी “विकास” की जगह क्षेत्रीयता,जातियता धर्म संप्रदाय को आगे कर वोट हथियाने की कारगुजारी कर रहे हैं, और राजनीतिक पार्टियां भी अपने प्रत्याशियों के चयन में कुछ इस प्रकार के मानकों को पूरा करने वालों को ही वरीयता से टिकट देते आए हैं| वर्तमान में प्रजातंत्र की कई कमजोर कड़ियां हैं, जिसे समय रहते मजबूत करने की आवश्यकता है| वर्ना स्वस्थ जनतंत्र पूंजीपतियों, बाहुबलीओं की घिनौनी राजनीति से अस्वस्थ होते हुए हम स्वदेशी फिर विदेशियों की गिरफ्त में जकड़े जाएंगे| कुछ नेता और उनके जानिसारो ने तो अभी देसी करंसी को विदेश में पहुंचा दिया है| प्रमाण के लिए नीरव मोदी जैसे कई है, जो राष्ट्र की बात करने वाले राष्ट्र विरोधियों को आसमान पर निवास करवाने के लिए योजना बना रहे हैं| तथा विदेशी कंपनियों के भरोसे देश को छोड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं |

