क्यों बिगड़ता हैं पुलिस का स्वास्थ्य….

प्रकाश तंवर
हिन्दुस्तान की पुलिस का कार्य क्षैत्र 24 घण्टे का होता है। राष्ट्र की अनिवार्य सेवाओं में पुलिस सहायता सेवा आती है। लगभग देश के सभी प्रान्तों में पुलिस जवान (आरक्षक) से लगाकर उच्च पदस्थ अधिकारी के लिए रात-दिन सर्दी, गर्मी, बरसात आदि का मौसम अपने दायित्वों-कर्तव्यों से बढ़कर नहीं है। यही कारण हैं कि पुलिस सेवारत कर्मचारी की शारीरिक सेहत-तंदरूस्ती अन्य विभाग के सेवारत शासकीय सेवकों की तुलना में जल्दी खराब हो जाती है। स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। क्योंकि पुलिस महकमें के पास समाज की सुरक्षा का महत्वपूर्ण दायित्व-जिम्मेदारी रहती है। इसलिए पुलिसकर्मी टाईम से ना सौ पाते है, और ना ही समय पर भोजन या स्वल्पाहर घर पर कर पाते है। वही हमेशा सदैव मन-मस्तिष्क में यह बात घर कर जाती है, कि अगले मिनिट में उसको कहां ड्यूटी करना है। जब शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिलेगा। तो निश्चित रूप से अनिद्रा, पाचन, तनाव, जकड़न के चलते शरीर शिथिल होने लगता है। पुलिसकर्मी अधिकांश दैनिक व्यायाम भी कम पुलिसबल की वजह से नहीं कर पाते। ऐसी कई अहम परिस्थितियों की वजह से पुलिस जवान को आंख, पेट, हृदय, सहित कई रोग होने लगते है। हालांकि समय-समय पर शासन स्तर एवं अन्य माध्यमों से पुलिसकर्मियों की बीमारी का परीक्षण एवं उपचार किया जाता है। विगत दिवस भी रतलाम पुलिस लाईन स्थित वंâट्रोल रूम में वड़ोदरा के स्टर्लिंग हॉस्पीटल द्वारा जवानों की जांच की गई। स्वास्थ्य शिविर का उदघाटन एस.पी. गौरव तिवारी ने किया। हेल्थ वैंâप का लाभ 186 पुलिस अधिकारी एवं जवानों ने लिया।

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