ए. रज़्ज़ाक
पिछले कई वर्षों से मध्यप्रदेश का महिला बाल विकास विभाग अनियमितताओं का बड़ा गढ़ है। इस विभाग के कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी की सीधे मंत्रालय से रसूख की वजह भी है, कि इस विभाग में अन्य विभाग से ज्यादा राजनीतिक रोटियां सेकी जाती है। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में पोषण आहार कांड से लगाकर, अन्य कई छोटे-बड़े घपले पर राजनीति की चादर डालकर छुपाया गया। रतलाम सहित पूरे प्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं का संबंधित मुखिया खूब मानसिक शोषण करता आया है। आंगनवाड़ियों को अन्य विभाग के कर्मचारियों से बहुत कम मानदेय मिलता है। लेकिन राष्ट्रीय कार्यक्रमों से लगा कर राजनीतिक कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भी मैदानी कार्यकर्ताओं को लगाया जाता है। पूर्व में भाजपा सरकार में रतलाम स्थित पालना गृह में संचालकों द्वारा बच्चियों के यौन शोषण का खुलासा राष्ट्रीय साप्ताहिक जनवकालत की महिला पत्रकार श्रीमती कमलेश चौहान ने किया था, तब भी संचालक जेल गया, किंतु रसूखदार महिला बाल विकास के शातिर बच निकले थे। आज रतलाम जिले की जावरा तहसील के कुंदन कुटीर बालिका गृह से जुड़े जिम्मेदारों ने एक बार फिर भारतीय संस्कृति को शर्मसार कर दिया। भारतीय के किरदार ने भारतीय सभ्यता पर तमाचा जड़ दिया। पाश्चात्य रीति-रिवाजों में पत्नी का मदिरापान, पति का अन्य स्त्री के साथ भोगविलास की हरकत कहां तक, किस स्तर तक जायज है। इसका मूल्यांकन विदेशी ही कर सकते हैं। लेकिन हिंदुस्तान में इस प्रकार के आचार-विचारों पर भारतीय संस्कृति स्वीकृति नहीं देती है। देश-प्रदेश में नेता, नेत्री, अधिकारी, महिला अधिकारी यदि सजग होते, तो निश्चित रूप से इस प्रकार पूर्व में बिहार प्रदेश के मुजफ्फरपुर में घटना घटी, वही मध्यप्रदेश के जावरा स्थित बालिका गृह में घटित नहीं होती। भाजपा के क्षेत्रीय छूटभईयो से लगा कर जिम्मेदार अपनी भड़ास निकालने के लिए मीडिया में गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। कुछ को अपने स्वार्थ सिद्ध करने हैं, तो कुछ को सिर्पâ समाज के समक्ष अपना विरोध दर्ज करवाना है, लेकिन उपरोक्त घटनाओं से निजात पाने के लिए स्थाई हल कोई नहीं निकालना चाहता है। जावरा की यह घटना देश-प्रदेश की पहली घटना नहीं है। आखिर रसूखदार हमारे संविधान के नियम कानूनों को निष्त्रिâय शिथिल करने में अपनी उर्जा क्यों लगाते है? जब तक सत्ताधारी शासन तंत्र को निष्पक्ष कार्य करने की अनुमति नहीं देगा, तब तक देश प्रदेश में यदा-कदा इस प्रकार की घटनाएं घटित होती रहेगी। हां! कुछ समय के लिए जरूर मीडिया में सुर्खियां बनेगी, लेकिन अन्तोगत्वा सत्य परेशान होता रहेगा, और चाटुकार, लोकशाही के नाम पर तानाशाही करता रहेगा। आज देश एवं प्रदेश को सुशासन की दरकार है। जिस प्रकार प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने उक्त घटना के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है, उससे स्पष्ट लग रहा है कि शीघ्र ही सुशासन प्रदेश में काबिज होगा।