जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस संगठन) द्वारा रतलाम से शुरू हुई आदिवासी अधिकार यात्रा का आगाज प्रदेश की राजनीति में एक नया परिवर्तन लाने के लिए शुरू की, जिसका नैतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा और गोंडवाना पार्टी के श्री हीरा सिंह मरकाम द्वारा किया गया जो प्रदेश के 47 (अजजा सीटों) विधानसभा क्षेत्राों में जाकर आदिवासियों के अधिकारों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु 21 जुलाई 2018 को रतलाम ग्रामीण के सातरूण्डा चौराहे से शुरू हुई। 47 सीटों पर वर्तमान में भाजपा (32) और कांग्रेस (15) सीटों पर काबिज हैं अगर जयस और गोडवाना का गठबंधन तीसरी ताकत के रूप में उभरता हैं तो दोनो ही राष्ट्रीय पार्टियों के लिए मुसीबत बन सकता है। आदिवासी मतदाताओं के व्यापक समर्थन को देखते हुए अधिकार यात्रा राजनैतिक समीकरण बिगाड़ सकती हैं क्योंकि युवा वर्ग वर्तमान व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है इसका मुख्य कारण मौजूदा विधायकों का समाज के प्रति लगाव कम और पार्टी में निष्ठा ज्यादा होना है। दोनो ही पार्टियां आदिवासियों के वोटो को अपना वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती आई है जबकि आदिवासियों की हालत जस के तस बने हुवे है। बेरोजगारी और पॉचवी अनुसूची को लागू करने की मांग जयस पिछले पांच सालों से कर रहा है। बैकलॉक पदो की भर्ती सरकार द्वारा नहीं करने से युवाओं के सामने राजनैतिक परिवर्तन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जयस की अधिकार यात्रा को भाजपा के मुखिया और मुख्यमंत्री ने गम्भीरता से लेते हुए भोपाल तलब कर जयस की मांगों को सुना और जयस के पदाधिकारियों को भाजपा में शमिल होने को न्यौता देकर कांग्रेस को मात दे दी। वही कांग्रेस अभी तक जयस को हल्के रूप में लेने की भूल कर रही है। जयस संगठन प्रदेश की कुल जनसंख्या ०7 करोड़ में लगभग 2.5 करोड़ आदिवासी जनसंख्या में फैला हुआ है। 47 विधान सभा सीटे बड़ा राजनैतिक परिवर्तन ला सकती है। यह संगठन नहीं विचारधारा हैं जो आदिवासियों के हक, अधिकारों की बात करती है इसको खत्म करना कांग्रेस या बीजेपी के बस की बात नहीं है। जयस का सबसे मजबूत गढ़ रतलाम है जिसकी ताकत 09 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस को देखने को मिलेगी। रतलाम जिले में 02 विधानसभा क्षैत्र रतलाम ग्रामीण तथा सैलाना के है जहां वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं और कांग्रेस वापसी के लिए संघर्ष कर रही है ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में जयस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी।