रतलाम|
रतलाम जिले में भूमाफियाओं द्वारा दलालों और प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलकर हजारों एकड़ जमीन आदिवासियों की कृषि भूमि सस्ते दामों में खरीद कर गैर आदिवासियों के नाम पर नामान्तरण करवाकर बेच दी और यह घोटाला पिछले कई वर्षों से कलेक्टर ऑफिस में पदस्थ बाबुओं द्वारा नियमों को तोड़मरोड़ कर अधिकारियों की सांठ-गांठ से किया गया। पिछले दिनो मेडिकल कॉलेज के आसपास बंजली, नंदलई, जामथुन, जुलवानिया, पलसोड़ी, करमदी, सालाखेड़ी, के गांवों की जमीन बेचने का कारोबार खुलेआम हो रहा था। आदिवासी संगठनों द्वारा आपत्ति और जयस संगठन द्वारा 29 जुलाई को आदिवासी अधिकार यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की आदिवासियों सम्बंधी २५ सूत्रीय मांगों को सुनने के पश्चात रतलाम जिले में हो रहे इस गौरखधंधे पर प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी से जांच के बाद यह बड़ा खुलासा हुआ परंतु अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। जांच में कई प्रशासनिक अधिकारी दोषी पाये गये जिनके खिलाफ पुलिस में एफ.आई.आर दर्ज करवाकर जांचकर दोषियों को सजा दिलवाना चाहिए क्योंकि गरीब आदिवासी वर्ग के किसान कर्जे के चलते पट्टे में दी गई अपनी निजी-जमीन को बेचने के लिए मजबूर हो रहे है। रतलाम जिले में दो अजजा सीटों पर विधानसभा में भाजपा का प्रतिनिधित्व है पर अभी तक किसी विधायक द्वारा आवाज न उठाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है। जयस संगठन ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है जो आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य चुनावी मुद्दा बनेगा तथा चुनावों को प्रभावित भी करेगा क्योंकि जयस की मुख्य मांग ही प्रदेश में पांचवी अनुसूचि का पालन करवाने के लिए है। इस बार आदिवासी युवाओं के नैतृत्व में बड़े राजनीतिक परिवर्तन की आहट हो चुकी है जो कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत बन सकती है। इन मुद्दो पर सरकार को गम्भीर होकर एजेण्डे में शामिल करना पड़ेग नहीं तो आदिवासी मतदाता हर बार की तरह इस बार भी बड़े दलों के लिए वोट बैंक न बन जाये। इस हेतु जयस अपनी लड़ाई ग्राम से विधानसभा तक लड़ने की तैय्यारी कर चुका है।

